iGrain India - लास वेगास । अमरीकी सूखी मटर एवं मसूर परिषद के अध्यक्ष ने कहा है कि भारत सरकार ने अमरीकी काबुली चना पर 10 प्रतिशत तथा मसूर पर 20 प्रतिशत का जो अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया था उसे वापस लेने का फैसला किया है।
दरअसल अमरीका द्वारा भारत से आयातित स्टील तथा अल्युमिनियम के कुछ खास उत्पादों पर सीमा शुल्क में बढ़ोत्तरी की गई थी और इसके बाद बदले की कार्रवाई के तहत भारत सरकार ने अमरीकी मसूर एवं चना पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगा दिया था।
परिषद के अध्यक्ष का कहना था कि व्यापार अवरोध के लगभग छह चुनौतीपूर्ण वर्षों के बाद अब भारतीय बाजार में अमरीका मसूर एवं चना की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ जाएगी।
इससे अमरीकी किसानों को निश्चित रूप से दलहनों का उत्पादन बढ़ाने का अच्छा अवसर और प्रोत्साहन मिलेगा। उल्लेखनीय है कि अतिरिक्त आयात शुल्क लगाए जाने से पूर्व भारत को अमरीका करीब 3.00-3.50 लाख टन दलहनों का वार्षिक निर्यात करता था लेकिन शुल्क वृद्धि के बाद यह निर्यात बंद हो गया। इसमें आधा भाग मटर का तथा शेष आधा हिस्सा मसूर एवं चना का होता था।
संयोग से जब भारत सरकार ने चना एवं मसूर पर आयात शुल्क बढ़ाया तभी वहां मटर का आयात भी अघोषित रूप से रोक दिया गया। अब अमरीका एक बार फिर भारतीय दलहन बाजार में सक्रिय हो सकता है।
वैसे इस वर्ष अमरीका को मसूर का निर्यात बढ़ाने का अवसर नहीं मिलेगा क्योंकि वहां से इसके अधिकांश भाग का शिपमेंट पहले ही हो चुका है। लेकिन 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में अमरीका मसूर के निर्यात में कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को भारतीय बाजार में चुनौती दे सकता है।
अध्यक्ष के अनुसार अमरीका में मसूर का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष की तुलना में 19 प्रतिशत घटकर इस बार 5.33 लाख एकड़ पर सिमट गया है और इसके नए माल का निर्यात यूरोप, दक्षिण अमरीका, तथा उत्तरी अफ़्रीका के देशों में होगा। इससे भारत के लिए वहां मसूर का निर्यात योग्य स्टॉक बहुत कम बचेगा।