iGrain India - हैदराबाद । वैष्विक बाजार में चावल का भाव उछलकर पिछले 11 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है जिसके असर से भारतीय चावल के दाम में भी कुछ बढ़ोत्तरी हो सकती है।
इसके साथ-साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून का जो परिदृश्य बन रहा है उससे चावल के घरेलू उत्पादन में गिरावट की आशंका बढ़ती जा रही है जिससे बाजार पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
दरअसल अल नीनो मौसम चक्र की वजह से भारत ही नहीं बल्कि थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, म्यांमार, बांग्ला देश एवं पाकिस्तान आदि देशों में भी चावल के उत्पादन पर खतरा मंडरा रहा है।
उल्लेखनीय है कि चावल के वैश्विक निर्यात कारोबार में भारत की भागीदारी 40 प्रतिशत से अधिक रहती है और अफ्रीका तथा एशिया के अनेक देश चावल की आपूर्ति के लिए भारत पर ही आश्रित रहते हैं।
वर्ष 2022 में करीब 560 लाख टन चावल का वैश्विक व्यापार हुआ जिससे भारत सहित अन्य प्रमुख निर्यातक देशों में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का स्टॉक घट गया। चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष का कहना है कि भारतीय चावल सबसे सस्ते दाम पर उपलब्ध रहता है।
सरकार द्वारा धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने से चावल के भाव में बढ़ोत्तरी हुई तो अन्य निर्यातक देशों ने भी इसका दाम बढ़ाना शुरू कर दिया।
संसार में 3 अरब से ज्यादा लोगों के लिए चावल प्रमुख खाद्य आहार है और इसका लगभग 90 प्रतिशत उत्पादन एशियाई देशों में होता है। जहां इस बार अल नीनो मौसम चक्र के कारण बारिश कम होने की संभावना है।
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक एवं दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक देश है। खाद्य एवं कृषि संगठन (फाओ) का वैश्विक चावल मूल्य सूचकांक पहले ही उछलकर 11 वर्षों के शीर्ष स्तर पर पहुंच चुका है।
यदि इसमें और इजाफा हुआ तो अफ्रीका के गरीब आयातक देशों की मुसीबत बढ़ जाएगी। हालांकि अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) ने चावल के छह शीर्ष उत्पादक देशों- चीन, भारत, बांग्ला देश, इंडोनेशिया, थाईलैंड एवं वियतनाम में चावल का शानदार उत्पादन होने का अनुमान व्यक्त किया था लेकिन फिर भी इसकी कीमतों में तेजी का माहौल बना हुआ है।