iGrain India - मुम्बई । नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के प्रबंध निदेशक का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा 2023-24 के मार्केटिंग सीजन हेतु गन्ना का उचित एवं लाभकारी मूल्य 305 रुपए प्रति क्विंटल से 10 रुपए बढ़ाकर 315 रुपए प्रति क्विंटल नियत किए जाने से चीनी उत्पादन का लागत खर्च 1 रुपया प्रति किलो बढ़कर औसतन 35.50 रुपए प्रति किलो पर पहुंच जाएगा।
उनका कहना था कि देश में 535 चीनी मिलें हैं जिनमें से कुछ इकाइयों में चीनी का उत्पादन खर्च 38 रुपए प्रति क्विंटल से भी ऊंचा रहता है जबकि कुछ अन्य प्लांटों में लागत खर्च 34 रुपए प्रति किलो या इससे भी नीचे होता है।
इसको देखते हुए प्रत्येक चीनी मिल के लिए यदि उत्पादन लागत में 1 रुपया प्रति किलो की बढ़ोत्तरी हुई तो इसका औसत खर्च 35.50 रुपए प्रति किलो पर पहुंच सकता है।
मालूम हो कि गत 28 जून को आर्थिक मामलों की केन्द्रीय कैबिनेट समिति ने 10.25 प्रतिशत की मूल डिलीवरी दर के आधार पर 2023-24 (अक्टूबर-सितम्बर) सीजन के लिए गन्ना का एफआरपी 10 रुपए बढ़ाकर 315 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया था।
चीनी की औसत रिकवरी रेट में घट-बढ़ के आधार पर गन्ना के एफआरपी में भी बदलाव हो जाएगा। यदि इस रिकवरी दर में 0.1 प्रतिशत का इजाफा होता है तो गन्ना एफआरपी 3.07 रुपए बढ़ जाएगा और यदि इसमें 0.1 प्रतिशत की कमी आती है तो एफआरपी इतना ही घट जाएगा।
लेकिन किसानों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से चीनी मिलें उस समय गन्ना के एफआरपी में कोई कटौती नहीं करेंगी जब इससे चीनी की औसत रिकवरी दर 9.5 प्रतिशत से नीचे हो।
इस गन्ना के लिए किसानों को 2023-24 सीजन के दौरान 291.97 रुपए प्रति क्विंटल का निश्चित मूल्य प्राप्त होगा जो 2022-23 सीजन के 282.12 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा है। सरकार ने 2023-24 सीजन के लिए गन्ना का उत्पादन खर्च 157 रुपए प्रति क्विंटल आंका है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार गन्ना के एफआरपी में हुआ यह इजाफा हैरान करने वाला नहीं है और इसकी उम्मीद पहले से की जा रही थी। उद्योग केवल इतना चाहता है कि सरकार चीनी के एक्स फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य में भी इसी तरह का इजाफा कर दे।