iGrain India - नई दिल्ली । कृषि अर्थ शास्त्रियों एवं व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि चालू वर्ष के दौरान यदि अल नीनो का आगमन होता है तो इससे भारत सहित एशिया, ऑस्ट्रेलिया एवं लैटिन अमरीका के कई देश प्रभावित हो सकते हैं।
इससे खासकर चावल का उत्पादन सभी प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देशों में घट सकता है। इसकी आशंका से चावल का दाम बढ़ने लगा है।
भारतीय चावल का निर्यात ऑफर मूल्य 9 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ पिछले 5 साल के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है। पिछले महीने केन्द्र सरकार द्वारा आगामी सीजन के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी किए जाने से चावल का भाव तेज हुआ है।
इसी तरह थाईलैंड एवं वियतनाम में भी चावल का निर्यात ऑफर मूल्य बढ़ कर गत दो वर्षों से भी अधिक समय के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। चूंकि भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है और इसका चावल सबसे सस्ते दाम पर उपलब्ध रहता है इसलिए यहां जब भी भाव बढ़ता है तब अन्य निर्यातक देश भी अपने उत्पाद का दाम बढ़ा देते हैं।
चावल की भांति चीनी के दाम में भी अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है और इसका वैश्विक बाजार भाव उछलकर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय मिलर्स एवं निर्यातक इसका फायदा नहीं उठा पाएंगे क्योंकि यहां से इस मीठी वस्तु का निर्यात बंद है।
समझा जाता है कि भारत थाईलैंड एवं चीन में चीनी का अगला उत्पादन घट सकता है। कुछ खतरा ब्राजील पर भी है वह इसका सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है।
समीक्षकों के मुताबिक अल नीनो की वजह से इंडोनेशिया एवं मलेशिया में मौसम प्रभावित हो सकता है लेकिन पाम तेल उत्पादन पर प्रतिकूल असर चालू वर्ष के बजाए अगले साल परिलक्षित होने की संभावना है।
लैटिन अमरीकी देश- ब्राजील में मध्य सितम्बर से सोयाबीन एवं मक्का की बिजाई शुरू होने वाली है और तब तक वहां अल नीनो मौसम चक्र पहुंच सकता है।
दक्षिण एशिया तथा दक्षिण- पूर्व एशिया के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया को भी अल नीनो से गंभीर खतरा होने की आशंका है जिससे वहां गेहूं, मसूर एवं कैनोला आदि के उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
वैश्विक बाजार में सीमित आपूर्ति के कारण चावल का दाम बढ़ रहा है। यदि उत्पादन में गिरावट आई तो कीमतों में और इजाफा संभव है।