iGrain India - नई दिल्ली । देश के अलग-अलग भागों में दक्षिण-पश्चिम मानसून को सहारा देने के लिए भिन्न-भिन्न तरह की अनुकूल परिस्थितियां बनी हुई हैं। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में साइक्लोनिक सर्कुलेशन का निर्माण हो रहा है।
पश्चिमी एवं दक्षिणी समुद्र के तटवर्ती क्षेत्र में गुजरात से केरल तक मानसून का एक ट्रफ सक्रिय है जबकि पश्चिमोत्तर भारत में एक पश्चिमी विक्षोभ का मानसून के साथ मिलान हो गया है।
देश के मध्यवर्ती भाग में बारिश अपेक्षाकृत कम हुई है लेकिन मौसम विभाग ने वहां अगले दो दिनों में दूर-दूर तक अच्छी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है।
पश्चिमी विक्षोभ के आगमन से देश के पश्चिमोत्तर भाग में पिछले कुछ दिनों से मानसून की सक्रियता बढ़ गई है और 9 जुलाई तक इसके बरकरार रहने की उम्मीद है।
मौसम विभाग के मुताबिक इस क्षेत्र के लगभग सभी भागों में सामान्य से लेकर भारी वर्षा हो सकती है। उत्तराखंड एवं पूर्वी राजस्थान में मूसलाधार वर्षा होने की संभावना है।
उधर पूर्वी तथा पूर्वोतर भारत में बारिश का दौर जारी है। अगले तीन-चार दिनों तक पश्चिम बंगाल, सिक्किम, आसाम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, उड़ीसा एवं बिहार जैसे राज्यों में भारी से लेकर बहुत भारी वर्षा हो सकती है। झारखंड भी इसमें शामिल है।
लेकिन यह तथ्य नजर अंदाज करने लायक नहीं है कि वर्षा का वितरण असमान होने से कई क्षेत्रों में अभी तक बारिश का अभाव बना हुआ है। भले ही राष्ट्रीय स्तर पर मानसून की बारिश की कमी अब सामान्य औसत के मुकाबले केवल 7 प्रतिशत रह गई है लेकिन देश का कई हिस्सा अभी अच्छी मानसूनी वर्षा का इंतजार कर रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि जिन राज्यों में कुल बारिश सामान्य से ज्यादा हुई है वहां भी कुछ भाग सूखे का सामना कर रहा है। कुल संचयी वर्षा उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उसका समान वितरण।
खरीफ फसलों की बिजाई की रफ्तार बढ़ाने के लिए सभी प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों के प्रत्येक भाग में अच्छी वर्षा का होना आवश्यक है।