iGrain India - लुधियाना । पिछले दिन पंजाब के अनेक भागों में हुई मूसलाधार वर्षा से जहां तापमान में गिरावट आई और लोगों को भीषण गर्मी (उमस) से राहत मिली वहीँ किसानों को धान की रोपाई की गति बढ़ाने का अवसर भी मिल गया।
लेकिन कई क्षेत्रों में भारी वर्षा के कारण खेतों में पानी भर जाने से अन्य खरीफ फसलों की बिजाई में बाधा पड़ने की आशंका है। समीक्षकों के अनुसार इस वर्षा से पंजाब में धान की रोपनी के लिए भूजल तथा भूमिगत जल पर दबाव घट जाएगा और फसल की अच्छी प्रगति भी हो सकेगी।
मौसम विभाग के चंडीगढ़ केन्द्र के अनुसार लुधियाना में सर्वाधिक 103 मि०मी० बारिश हुई। इसके बाद नवां शहर के बालापौर में 80 मि०मी०, रोपड़ में 64 मि०मी०, जालंधर में 47 मि०मी०, फिरजोपुर में 40.5, गुरदासपुर में 35.5, पटियाला में 21 तथा अमृतसर में 18.5 मि०मी० वर्षा रिकॉर्ड की गई।
पंजाब के शेष भागों में भी 10 से 17.5 मि०मी० के बीच बारिश हुई। मौसम विभाग के मुताबिक एक नया पश्चिमी विक्षोभ 8 जुलाई की रात से पश्चिमी हिमालय क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है और इसके असर से पंजाब, हरियाणा तथा चंडीगढ़ से वर्षा हो सकती है।
कुछ क्षेत्रों में जोरदार बारिश होने की संभावना है जबकि अन्य इलाकों में गरज-चमक के साथ बौछार पड़ सकती है। मौसम विभाग ने लोगों को बारिश में वहान चलाते समय सावधानी बरतने, पेड़ों के नीचे आश्रय नहीं लेने तथा जल स्रोतों से दूर रहने का सुझाव दिया है।
पंजाब केन्द्रीय पूल में चावल का सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य है। वहां अच्छी बारिश से धान की पैदावार बेहतर होने पर केन्द्र सरकार को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।
हरियाणा में भी अच्छी वर्षा हो रही है। लेकिन खेतों में जमा पानी अन्य खरीफ फसलों की बिजाई में बाधा डाल सकता है।