iGrain India - राजकोट । मध्य जून के आसपास बिपरजॉय तूफान के कारण सौराष्ट्र एवं कच्छ संभाग के साथ-साथ उत्तरी एवं दक्षिणी गुजरात में मूसलाधार वर्षा हुई और उसके बाद भी वहां मानसूनी वर्षा का दौर जारी रहा जिससे किसानों को खरीफ फसलों की बिजाई की रफ्तार बढ़ाने का अच्छा अवसर मिल गया।
राज्य कृषि विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सीजन के दौरान गुजरात में विभिन्न फसलों का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 40.46 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र से 34 प्रतिशत अधिक तथा गत तीन वर्षों के सामान्य औसत क्षेत्रफल 85.97 लाख हेक्टेयर का 47 प्रतिशत है।
पिछले साल इस समय तक गुजरात में केवल 30.20 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बिजाई संभव हो सकी थी क्योंकि किसानों को बारिश का इतंजार करना पड़ा था।
बिपरजॉय तूफान के प्रभाव से सौराष्ट्र संभाग के अनेक जिलों भाव नगर, अमरेली, गिर सोमनाथ, जूनागढ़, पोरबंदर, देवभूमि द्वारका, जामनगर एवं राजकोट में जोरदार वर्षा हुई। इसी तरह कच्छ जिले में भी भारी बारिश हुई थी जहां बिपरजॉय तूफान 15 जून को पहुंचा था।
ध्यान देने की बात है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर जून के अंत तक सौराष्ट्र के अधिकांश भाग में पहुंचता है लेकिन इस बार तीसरे-चौथे सप्ताह में ही वहां सक्रिय हो गया। इससे वहां किसानों को 30.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बिजाई पूरा करने में सफलता मिल गई।
लेकिन गुजरात के अन्य भागों में खरीफ फसलों की बिजाई पीछे चल रही है। उत्तरी गुजरात के छह जिलों में खरीफ फसलों का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के 17.40 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस बार 5.17 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जबकि कृषि योग्य भूमि के क्षेत्रफल की दृष्टि से वह गुजरात का दूसरा सबसे प्रमुख क्षेत्र है।
इसी तरह मध्यवर्ती गुजरात के आठ जिलों में खरीफ फसलों का रकबा गत वर्ष के कुल बिजाई क्षेत्र 16.84 लाख हेक्टेयर की तुलना में अभी 2.25 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंचा है। दक्षिणी गुजरात की हालत भी इससे ज्यादा भिन्न नहीं है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात देश में कपास, मूंगफली एवं अरंडी का सबसे प्रमुख राज्य है। अरंडी की बिजाई जुलाई के अंत से लेकर पूरे अगस्त के दौरान जारी रह सकती है।