iGrain India - साओ पाउलो । लैटिन अमरीकी देश- ब्राजील में 2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान सोयाबीन तथा मक्का का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है।
सोयाबीन तथा प्रथम सीजन वाले मक्का की फसल की कटाई-तैयारी पहले ही समाप्त हो चुकी है जबकि दूसरे या सफरीन्हा सीजन के मक्का की फसल की कटाई-तैयारी अभी जारी है।
ब्राजील से इन दोनों महत्वपूर्ण कृषि उत्पादों का जोरदार निर्यात हो रहा है जिससे वहां परिवहन की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। सड़क परिवहन का संकेत तथा बंदरगाहों पर जगह की कमी का संकट निर्यातकों को काफी परेशान कर रहा है।
दक्षिण ब्राजील के परानागुआ बंदरगाह के आसपास सोयाबीन एवं मक्का से लदे ट्रकों का विशाल अम्बार लगा हुआ है। ब्राजील के अनाज निर्यातक संघ (ऐनेक) के अनुसार वर्ष 2023 में देश से इन दोनों कृषि उत्पादों का निर्यात उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
ब्राजील के बंदरगाहों पर अब तक निर्यात शिपमेंट के लिए इन दोनों उत्पादों की विशाल मात्रा का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। दक्षिण-पूर्वी ब्राजील के पराना राज्य में अवस्थित परानागुआ बंदरगाह इस समय अत्यन्त व्यस्त है जबकि यह ब्राजील का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह माना जाता है। वहां रोजाना रिकॉर्ड संख्या में ट्रक पहुंच रहे हैं।
5 जुलाई को ट्रकों की संख्या बढ़कर 2456 पर पहुंच गई। इस पर सोयाबीन, सोयामील तथा मक्का का स्टॉक लदा हुआ था। इसमें से 1414 ट्रक पर सोयाबीन, 548 ट्रक पर मक्का तथा 494 ट्रक पर सोयामील मौजूद था।
सार्जनिक निर्यात कोरीडोर के लिए सोयाबीन एवं मक्का की रिकॉर्ड डिलीवरी हो रही है जिसे व्यवस्थित एवं प्रभावी ढंग से संचालित करना आसान नहीं है। पिछले वर्षों से यह स्थिति सर्वथा भिन्न है। हाल के वर्षों में बंदरगाह पर कम्प्यूटर प्रणाली आरंभ हुई है।
इससे ट्रकों को बंदरगाहों पर आने के लिए एक निश्चित तारीख एवं समयावधि की सूचना दी जाती है। यदि कोई अनधिकृत ट्रक वहां पहुंचता है तो उसे प्रवेश करने से मनाकर दिया जाता है।
सफरीन्हा मक्का की अभी 20 प्रतिशत फसल की कटाई हुई है। ब्राजील के किसानों ने कमजोर बाजार भाव को देखते हुए सोयाबीन की बिक्री की गति धीमी कर दी है जिससे बंदरगाहों पर माल पहुंचने में देर हो गई।
फरवरी में अत्यन्त भारी वर्षा होने तथा लैंड स्लाइड (भूस्खलन) होने से मुख्य राजमार्ग पर कीचड़ जमा हो गया था जिससे निर्यात की रफ्तार घट गई थी। अब सोयाबीन के दाम में कुछ बढ़ोत्तरी होने से किसानों को अपना स्टॉक बेचने का प्रोत्साहन मिल रहा है जिससे निर्यातकों की सक्रियता काफी बढ़ गई है।