iGrain India - चंडीगढ़ । हरियाणा में पिछले महीने किसानों द्वारा भारी असंतोष प्रकट किए जाने के बाद राज्य सरकार ने भावान्तर भरपाई योजना के तहत 1000 रुपए प्रति क्विंटल की अंतरिम राहत की घोषणा करके सूरजमुखी उत्पादकों का विरोध प्रदर्शन समाप्त करवाया था लेकिन पंजाब में किसान को अब भी काफी नीचे दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पंजाब की मंडियों में इस वर्ष 3 जुलाई तक कुल 70,287 क्विंटल सूरजमुखी की आपूर्ति हुई जो पिछले साल की समान अवधि की आवक 37,135 क्विंटल से 89 प्रतिशत ज्यादा थी। इसका औसत मंडी मूल्य 3950 से 4725 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रहा जो 6400 रुपए प्रति क्विंटल के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुकाबले 26 से 38 प्रतिशत तक कम था।
सूरजमुखी की इस सम्पूर्ण मात्रा की खरीद प्राइवेट व्यापारियों द्वारा की गई जबकि बाजार भाव काफी नीचे होने के बावजूद सरकारी एजेंसियों ने इसकी खरीद में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। प्राप्त सूचना के अनुसार 3 जुलाई तक 70,287 क्विंटल सूरजमुखी की कुल आवक में से 68,130 क्विंटल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर की गई।
पंजाब में केवल चार जिलों- फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना, पटियाला एवं मोहाबी की मंडियों में सूरजमुखी की आवक हुई है। पटियाला जिले की मंडियों में सर्वाधिक 35,545 क्विंटल, फतेहगढ़ साहिब में 31,953 क्विंटल, मोहाली में 1533 क्विंटल तथा लुधियाना जिले की मंडियों में 1258 क्विंटल सूरजमुखी की आवक दर्ज की गई।
पंजाब में 90 के दशक में सूरजमुखी की खेती आरंभ हुई थी और 1995-96 में वहां इसका क्षेत्रफल 1.03 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा था लेकिन उसके बाद तेजी से घटते हुए अब 2-3 हेक्टेयर पर सिमट गया है इसी तरह समीक्षाधीन अवधि में इसका उत्पादन 1.61 लाख टन से लुढ़ककर अब 14,600 टन (1.46 लाख क्विंटल) पर आ गया है।
पंजाब में सूरजमुखी की औसत उपज दर करीब 1778 किलो (17.78 क्विंटल) प्रति हेक्टेयर के आसपास है। पहले राज्य के सम्पूर्ण दोआब क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सूरजमुखी की खेती होती थी जिसमें जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर एवं नवां शहर जैसे जिले शामिल थे लेकिन बाद में वहां किसानों ने मक्के की खेती पर ध्यान देना शुरू कर दिया और सूरजमुखी की खेती तेजी से घटने लगी।