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बेहतर बारिश होने से धान के उत्पादन में गिरावट की संभावना कम

प्रकाशित 10/07/2023, 07:42 pm
अपडेटेड 10/07/2023, 07:45 pm
बेहतर बारिश होने से धान के उत्पादन में गिरावट की संभावना कम

iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन में एक सप्ताह की देर होने तथा 20 जून तक इसकी चाल सुस्त रहने से धान के उत्पादन क्षेत्र में भारी गिरावट आने की आशंका पैदा हो गई थी लेकिन उसके बाद मानसून की तीव्रता, सघनता एवं गतिशीलता इतनी ज्यादा बढ़ गई कि यह नियत समय से 6 दिन पहले ही समूचे देश में पहुंच गया।

देश के पश्चिमोत्तर क्षेत्र एवं पूर्वी राज्यों में भारी बारिश हुई है जिससे धान की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है। पंजाब- हरियाणा में इसकी रोपाई अधिकांश इलाकों में पूरी हो चुकी है।

इस बार उत्तर प्रदेश में भी वर्षा की हालत अच्छी है। इसी तरह बंगाल, बिहार, झारखंड एवं उड़ीसा में वर्षा की स्थिति में काफी सुधार आया है। अभी तक अल नीनो मौसम चक्र का कोई प्रकोप सामने नहीं आया है लेकिन इसका खतरा बरकरार है।

वैसे चालू खरीफ सीजन के दौरान 7 जुलाई तक धान का कुल क्षेत्रफल 54.12 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंच सका जो गत वर्ष की समान अवधि के रकबा 71.10 लाख हेक्टेयर से 24 प्रतिशत कम रहा लेकिन अब उत्पादन क्षेत्र में तेजी से सुधार आने के आसार हैं।

चावल निर्यातक के अध्यक्ष का कहना है कि अब बारिश ने जोर पकड़ लिया है। दक्षिण भारत में जून में कम बारिश हुई लेकिन जुलाई में बेहतर वर्षा होने की उम्मीद है। 

खरीफ कालीन धान का सामान्य औसत क्षेत्रफल 397.06 लाख हेक्टेयर आंका गया है। उत्तर प्रदेश में यह 57.60 लाख हेक्टेयर एवं बंगाल में 41.60 लाख हेक्टेयर है जबकि छत्तीसगढ़ में 31.31 लाख हेक्टेयर आंका गया है।

पिछले साल खरीफ सीजन में धान का कुल रकबा 403 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया था जबकि बंगाल, बिहार एवं झारखंड में क्षेत्रफल घट गया था।

लेकिन तेलंगाना एवं मध्य प्रदेश ने इसकी क्षतिपूर्ति कर दी थी। जुलाई-अगस्त में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है इसलिए अभी पूरे परिदृश्य का इंतजार करना ठीक रहेगा।

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