iGrain India - कोयम्बटूर । दक्षिण भारत कॉटन यार्न का भाव एक निश्चित सीमा में लगभग स्थिर बना हुआ है और इसकी मांग भी औसत दर्जे की है। देश में इस बार त्यौहार एवं लग्नसरा का सीजन देर से आरंभ होने वाला है।
परम्परागत रूप से देश में गार्मेंट्स एवं अन्य टेक्सटाइल उत्पादों की खुदरा मांग जुलाई से ही बढ़नी शुरू हो जाती है क्योंकि अगस्त में त्यौहारों का सीजन आरंभ हो जाता है लेकिन चालू वर्ष के दौरान अगस्त के अंतिम सप्ताह से पूर्व त्यौहारी सीजन शुरू नहीं हो पाएगा।
उल्लेखनीय है कि वस्त्र उद्योग इस त्यौहारी सीजन का बेसब्री से इंतजार करता है क्योंकि इस अवधि के दौरान उसके उत्पादों का बेहतर कारोबार होता है और इसका दाम भी ऊंचा रहता है।
मुम्बई एवं तिरुपुर में कॉटन यार्न का भाव लगभग स्थिर बना हुआ है। एक अधिमास के कारण त्यौहारी सीजन में देरी होने की संभावना के बावजूद बाजार में फिलहाल नरमी नहीं आई है।
दिसावरी मांग सामान्य है और उपभोक्ता इसकी खरीद करने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं। चूंकि विदेशों से निर्यात के आर्डर कम मिल रहे हैं इसलिए वस्त्र उद्योग की निर्भरता घरेलू बाजार पर बढ़ गई है।
उद्योग विस्तारित श्रावण (सावन) मास पर गहरी नजर रखे हुए है। उद्योग को भरोसा है कि अधिमास समाप्त होने के बाद वस्त्र उत्पादों की खुदरा मांग में अच्छी बढ़ोत्तरी होगी और सितम्बर में कारोबार काफी हद तक जोर पकड़ लेगा।
मुम्बई मार्केट में 60 काउंट वाले कार्डेड कॉटन यार्न की वार्प एवं वेफ्ट श्रेणियों का दाम क्रमश: 1420/1445 रुपए प्रति 5 किलो तथा 1290/1350 रुपए प्रति 5 किलो दर्ज किया गया जिसमें जीएसटी शामिल नहीं है।
कंब्ड वार्प का दाम 325-330 रुपए प्रति किलो रहा। कॉटन यार्न की कीमतों में स्थिरता आने का एक अन्य कारण रूई के भाव में नरमी आना है। कपास का मूल्य घटकर काफी नीचे आ गया है।