iGrain India - बुलंदशहर । आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यद्यपि 2022-23 के मार्केटिंग सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश में गन्ना का बिजाई क्षेत्र बढ़कर 28.53 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया लेकिन इसके अनुरूप उत्पादन में बढ़ोत्तरी नहीं हो सकी क्योंकि पहले बारिश का अभाव रहा और फिर जरूरत से ज्यादा वर्षा हो गई।
इससे फसल को क्षति हुई और चीनी का उत्पादन भी 105.40 लाख टन तक पहुंच सका। उल्लेखनीय है कि 2017-18 सीजन के दौरान जब उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 120.48 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था तब वहां गन्ना का क्षेत्रफल 21.60 लाख हेक्टेयर ही रहा था।
यह केन्द्र सरकार का आंकड़ा है जबकि राज्य सरकार के आंकड़े से पता चलता है कि गन्ना का रकबा 28 लाख हेक्टेयर के करीब था। चालू सीजन के दौरान 7 जुलाई तक उत्तर प्रदेश में गन्ना का बिजाई क्षेत्र बढ़कर 27.51 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के क्षेत्रफल 23.60 लाख हेक्टेयर से 3.90 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अध्यक्ष का कहना है कि उम्मीद की जानी चाहिए कि आगामी महीनों के दौरान राज्य में जरूरत से बहुत ज्यादा नहीं हो और फसल की प्रगति में कोई बाधा न पड़े।
किसानों को गन्ना मूल्य के अधिकांश बकाए का भुगतान प्राप्त हो जाने से इस महत्वपूर्ण औद्योगिक फसल की खेती के प्रति उसका उत्साह एवं आकर्षण बढ़ गया है।
उत्तर प्रदेश में रामपुर जिले के एक चीनी मिल मालिक का कहना है कि उनके कमांड एरिया में गन्ना का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष से 9-10 प्रतिशत बढ़ गया है और फसल की हालत अच्छी है।
दरअसल वहां जिला प्रशासन ने किसानों को 20 जून से पहले धान की खेती शुरू नहीं करने का सुझाव दिया था इसलिए किसानों ने गन्ने की खेती आरंभ कर दी। उत्तर प्रदेश में गन्ना से चीनी की औसत रिकवरी दर 11.5 प्रतिशत रहती है।