iGrain India - कोच्चि । दक्षिण-पश्चिम मानसून का एक तटीय ट्रफ जो दक्षिणी गुजरात तट से लेकर उत्तरी केरल के तट तक फैला हुआ था उसके प्रभाव से पिछले दिनों केरल तथा तमिलनाडु के इलायची उत्पादक इलाकों में जोरदार बारिश हुई और कहीं-कहीं जल भराव के साथ-साथ बाढ़ का परिदृश्य भी दिखाई पड़ने लगा।
इसके फलस्वरूप न केवल छोटी (हरी) इलायची की फसल को कुछ नुकसान पहुंचने की आशंका है बल्कि उसके दाने की तुड़ाई-तैयारी में भी बाधा पड़ रही है। इलायची के दाने (कैप्सूल) में नमी का अंश बढ़ गया है।
उधर प्रमुख नीलामी केन्द्रों में छोटी इलायची की आवक में कमी आने के संकेत मिलने लगे हैं। समझा जाता है कि उत्पादन घटने की संभावना को देखते हुए उत्पादकों एवं व्यापारियों में इसका स्टॉक रोकने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
यद्यपि हरी इलायची का नया मार्केटिंग सीजन औपचारिक तौर पर अगस्त में शुरू होता है लेकिन इसकी तुड़ाई-तैयारी कई बार जून के अंतिम सप्ताह से ही आरंभ हो जाती है।
जुलाई में नए माल की अच्छी आवक होने लगती है लेकिन इस बार इसमें बाधा उत्पन्न हो सकती है। वैसे दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- केरल तथा तमिलनाडु में वर्षा का दौर अभी थमा हुआ है लेकिन कभी भी दोबारा शुरू हो सकता है। यदि बारिश नहीं हुई तो नई फसल की तुड़ाई-तैयारी बढ़ सकती है।
2022-23 सीजन में उत्पादित छोटी इलायची की आपूर्ति का सीजन अंतिम चरण में पहुंच गया है। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व हरी इलायची का नीलामी भाव कुछ तेज हुआ था।
इसलिए उत्पादक अपने पिछले स्टॉक की बिक्री के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं लेकिन स्टॉक ज्यादा नहीं है और अभी त्यौहारी सीजन शुरू होने में भी देर है इसलिए उत्तरी भारत के डीलर्स इसकी खरीद में ज्यादा जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं। इसके बजाए वे नई फसल की जोरदार आवक होने का इंतजार कर रहे हैं।
पिछले दिन आयोजित एक नीलामी में करीब 45 टन इलायची की आवक हुई और इसका औसत मूल्य सुधरकर 1351 रुपए प्रति किलो से कुछ ऊपर दर्ज किया गया। इससे पहले 4 जुलाई को आयोजित नीलामी में 49 टन से अधिक छोटी इलायची की आवक हुई थी और इसकी औसत कीमत 1245 रुपए प्रति किलो रही थी।