iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय एजेंसी नैफेड द्वारा किसानों से 5450 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 10.50 लाख टन से अधिक सरसों की खरीद किए जाने से बाजार भाव पर कुछ सकारात्मक असर पड़ा है और इस महत्वपूर्ण तिलहन के दाम में कुछ मजबूती आई है।
सरसों की आपूर्ति का पीक सीजन भी खत्म हो गया है जिससे प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में इसकी आवक घटने लगी है। पिछले दिन आवक घटकर 4.50 लाख बोरी के करीब रह गई जबकि मार्च-अप्रैल में औसत दैनिक आवक 12-13 लाख बोरी पर पहुंच गई थी।
हालांकि राजस्थान को छोड़कर अन्य उत्पादक राज्यों में सरसों की सरकारी खरीद पहले ही बंद हो गई थी मगर तब तक कुल खरीद 10 लाख टन से ऊपर पहुंच गई। हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात तथा उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी सरसों की अच्छी खरीद हुई है।
42 प्रतिशत कंडीशन वाली सरसों का भाव जयपुर में तो न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर पहुंच गया है जबकि दिल्ली में इसके आसपास पहुंच गया है। आगामी समय में इसकी कीमतों में नरमी आने की संभावना कम है।
यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है कि लूज सरसों का दाम अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है जिससे किसानों को अपेक्षित आमदनी नहीं हो रही है और इसलिए वे मंडियों में कम माल उतार रहे हैं।
सरसों का भाव घटकर पहले तलहट्टी में पहुंच गया था जिससे इसके तेल के दाम में भी भारी गिरावट आ गई थी लेकिन अब बाजार में धीरे-धीरे सुधार आने के संकेत मिल रहे हैं।
समझा जाता है कि नैफेड जल्दबाजी में अपना स्टॉक खुले बाजार में नहीं उतारेगा लेकिन यदि कीमतों में ज्यादा तेजी आई तो ऑफ सीजन में इसकी बिक्री शुरू कर सकता है। सरसों तेल का दाम कई क्षेत्रों में तेज होने की सूचना मिल रही है।