iGrain India - नई दिल्ली । खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा 12 जुलाई को आयोजित ई-नीलामी में एक बार फिर चावल की खरीद में बिडर्स ने बहुत कम दिलचस्पी दिखाई।
समझा जाता है कि सरकार ने चावल का जो न्यूनतम आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) 3100/3175 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया है वह खरीदारों को पसंद नहीं आ रहा है इसलिए वे इसकी खरीद में कोई खास रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि दूसरे दौर की साप्ताहिक ई-नीलामी के लिए खाद्य निगम ने 3.63 लाख टन चावल की बिक्री का ऑफर दिया था मगर वास्तविक बिक्री सिर्फ 0.07 प्रतिशत 290 टन पर ही पहुंच सकी। लेकिन फिर भी यह पहली नीलामी के प्रदर्शन से अच्छी रही।
इसके मुकाबले गेहूं की खरीद- बिक्री बेहतर देखी गई। गेहूं के लिए यह तीसरी साप्ताहिक नीलामी थी। इसमें 4.18 लाख टन गेहूं की बिक्री का ऑफर दिया गया था जिसमें से बिडर्स द्वारा 1.77 लाख टन या करीब 42 प्रतिशत की खरीद की गई जो पहली नीलामी की खरीद 21 प्रतिशत से दोगुनी थी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 5 जुलाई को आयोजित नीलामी के मुकाबले 12 जुलाई की साप्ताहिक ई-नीलामी के दौरान गेहूं की बिक्री में 38 प्रतिशत एवं चावल की बिक्री में 70 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। गेहूं की ई-नीलामी तो खाद्य निगम के सभी डिपो पर की गई जबकि चावल की नीलामी 251 डिपो पर हुई।
घरेलू बाजार में चावल, गेहूं एवं आटा के खुदरा मूल्य में होने वाली वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने ओएमएसएस के तहत खाद्यान्न की बिक्री शुरू की है।
लेकिन गेहूं की खरीद के लिए प्रति बिडर 10 से 100 टन की मात्रा नियत की गई है ताकि अधिक से अधिक खरीदार इसमें भाग ले सके और देश के सभी भागों में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
लेकिन व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि गेहूं की बिक्री पर सीमांकन होने से बिचौलियों को इसकी खरीद करने और फिर प्रचलित बाजार भाव पर उसे बेचने का अच्छा अवसर मिल रहा है।
मालूम हो कि सरकारी गेहूं का आधार बिक्री मूल्य एफएक्यू श्रेणी का 2150 रुपए प्रति क्विंटल तथा यूआरएस संवर्ग का 2125 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है जबकि खुला बाजार भाव इससे काफी ऊंचा चल रहा है।
12 जुलाई की नीलामी में गेहूं का औसत भारित मूल्य एफएक्यू के लिए 2156.67 रुपए प्रति क्विंटल तथा यूआरएस के लिए 2138.05 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।
चावल की खरीद में केवल चार बिडर्स ने रूचि दिखाई जिसमें महाराष्ट्र के दो तथा केरल एवं कर्नाटक के एक-एक बिडर शामिल थे। उसने संयुक्त रूप से 290 टन चावल खरीदा जिसका भारित औसत मूल्य 3110.07 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।