iGrain India - नई दिल्ली । वर्तमान समय में अरहर (तुवर) का उत्पादन मुख्यत: भारत, म्यांमार एवं उत्तरी अफ्रीका के देशों में होता है जिसमें मोजाम्बिक, सूडान, तंजानिया, मलावी एवं केन्या जैसे देश शामिल हैं।
लेकिन भारत में आपूर्ति एवं मांग के बीच भारी अंतर के कारण आयात भी बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए अब ऑस्टेलिया एवं ब्राजील जैसे देश भी तुवर की खेती शुरू करने का प्लान बना रहे हैं।
ध्यान देने की बात है कि म्यांमार और अफ्रीकी देशों में भी तुवर का उत्पादन मुख्यत: भारतीय जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से होता है। पिछले कुछ वर्षों से भारत में तुवर का उत्पादन घरेलू मांग एवं जरूरत से बहुत कम हो रहा है जिससे विदेशों से इसके आयात की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। इस बार घरेलू बाजार भाव भी काफी ऊंचा है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के कृषि मंत्री, भारत के खाद्य मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों तथा एक अग्रणी प्राइवेट सस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक हुई थी।
इस मीटिंग में निर्णय लिया गया कि ऑस्ट्रेलिया व्यापारिक संस्था-पल्स ऑस्ट्रेलिया की सहायता से इपगा ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड प्रान्त में तुवर की खेती के लिए आवश्यक सहयोग देगा।
अधिकारियों के मुताबिक ऑस्ट्रेलियाई उद्योग को सुझाव दिया गया है कि वह भारत के लिए तुवर का उत्पादन शुरू करे क्योंकि भारत अब वहां से चना का आयात नहीं या नगण्य करते है जबकि एक समय यह उसका सबसे प्रमुख खरीदार हुआ करता था। वैसे भारत में ऑस्ट्रेलिया से मसूर का आयात बढ़ रहा है।
इपगा के एक सदस्य का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया ने वर्ष 2019 में तुवर के उत्पादन का ट्रायल किया था और वहां इसकी क्वालिटी काफी अच्छी थी। लेकिन वह इस दिशा में आगे नहीं बढ़ सका क्योंकि उस समय भारत में तुवर का भाव आकर्षक स्तर पर नहीं था।
उसके अब एक बार फिर भारत को निर्यात के लिए इसका उत्पादन आरंभ करने का प्लान बनाया है। लेकिन इस प्रयास की सफलता के लिए ऑस्ट्रेलिया संभवत: भारत सरकार से तुवर आयात के लिए ठोस ऑर्डर की मांग कर सकता है और इसका आश्वासन भी चाहेगा।
चालू वर्ष के आरंभ में इपगा ने लैटिन अमरीकी देश- ब्राजील के साथ भी एक समझौता किया था जिसके तहत वहां किसानों को अरहर की खेती में हर तरह का सहयोग देने का प्रावधान था। ब्राजील के किसानों के लिए तुवर बिल्कुल नई फसल है।