iGrain India - औरंगाबाद । हाल ही में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) तथा ऑल इंडिया कॉटनसीड क्रशर्स एसोसिएशन द्वारा महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में चौथे कॉटनसीड ऑयल एंड मील कॉनक्लेव का आयोजन किया गया था जिसमें 2025 तक बिनौला तेल का घरेलू उत्पादन वर्तमान समय के 13-14 लाख टन से बढ़कर 15 लाख टन तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया।
इस कॉनक्लेव में कॉटन सीड क्रशर्स एसोसिएशन के चेयरमैन ने कहा कि देश में परम्परागत पद्धति से बिनौला की क्रशिंग होने के कारण इसके तेल का समुचित उत्पादन नहीं हो रहा था लेकिन एसोसिएशन द्वारा अब वैज्ञानिक पद्धति से इसकी प्रोसेसिंग को प्रोत्साहित एवं प्रचारित किया जा रहा है जिससे बिनौला तेल के उत्पादन में तेजी से बढ़ोत्तरी होने लगी है।
आने वाले समय में कॉटन सीड ऑयल का उत्पादन बढ़ने के पक्के आसार हैं। नागपुर स्थित केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा लिखे गए एक आलेख के हवाले से कॉटन सीड क्रशर्स एसोसिएशन के चेयरमैन ने कहा कि उस आलेख में वर्ष 2025 तक कपास का घरेलू उत्पादन बढ़कर 402.70 लाख गांठ के शीर्ष स्तर पर पहुंचने की उम्मीद व्यक्त की गई है।
इससे क्रशिंग- प्रोसेसिंग इकाइयों को कच्चे माल (बिनौला) की आपूर्ति बढ़ेगी और उसकी क्रशिंग वैज्ञानिक ढंग से होने पर तेल के उत्पादन में स्वाभाविक रूप से अच्छी बढ़ोत्तरी हो जाएगी।
चेयरमैन के अनुसार वर्तमान समय में करीब 13-14 लाख टन बिनौला तेल का औसत वार्षिक घरेलू उत्पादन हो रहा है जिसे अगले दो-तीन वर्षों में बढ़ाकर 15-16 लाख टन तक पहुंचाया जा सकता है।
इसके फलस्वरूप स्वदेशी स्रोतों से खाद्य तेल की आपूर्ति एवं उपलब्धता में इजाफा हो जाएगा। यदि वैज्ञानिक पद्धति से प्रोसेसिंग पर जोर दिया गया तो आने वाले वर्षों में बिनौला तेल का सालाना उत्पादन 19-20 लाख टन तक पहुंचाना भी मुश्किल नहीं होगा।
चेयरमैन के अनुसार 2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान खाद्य तेलों की कुल घरेलू खपत बढ़कर 240 लाख टन तक पहुंच जाने की संभावना है।
विदेशी खाद्य तेलों के बढ़ते आयात पर अंकुश लगाने के लिए स्वदेशी स्रोतों से उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है। इसके लिए सभी उपलब्ध संसाधनों का दोहन करना होगा।