iGrain India - रांची । कर्नाटक के बाद अब झारखंड सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा चावल की बिक्री बंद किए जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
नीति आयोग के आठ सदस्यीय दल के साथ एक बैठक के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र को राज्य के इस मामले को देखना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के एक भाग के रूप में लाभार्थियों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा प्रत्येक राज्य को चावल का नियत कोटा उपलब्ध करवाया जाता है।
लेकिन राज्य में और अधिक लाभार्थियों को रियायती राशन की जरूरत पड़ती है। झारखंड के मुख्यमंत्री का कहना था कि राज्य में ग्रीन कार्ड श्रेणी के तहत करीब 20 लाख अतिरिक्त लाभार्थियों को रियायती मूल्य पर राशन दिया जा रहा है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार झारखंड में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत 2.60 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं जिन्हें केन्द्र द्वारा प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल / गेहूं प्रदान किया जाता है लेकिन परिवार का विस्तार होने से अब 6-7 लाख अतिरिक्त परिवार सामने आ गए हैं।
प्रत्येक परिवार में 3 सदस्य भी मान लिया जाए तो लाभार्थियों की अतिरिक्त संख्या 20 लाख के करीब पहुंच जाती है। इन परिवारों के लिए चावल की व्यवस्था होनी जरुरी है। राज्य सरकार के पास सीमित संसाधन हैं इलसिए केन्द्र को इसका भार उठाना चाहिए।
ध्यान देने की बात है कि झारखंड में गेहूं के बजाए चावल की खपत अधिक होती है इसलिए उसे चावल का ही ज्यादा कोटा आवंटित किया जाता है।
पिछले साल खरीफ सीजन के दौरान वहां मानसून की बारिश कम होने से धान के उत्पादन क्षेत्र में भारी गिरावट आ गई थी और इसलिए इसकी पैदावार भी घट गई थी। इससे राज्य में चावल की कमी महसूस होने लगी। वैसे राशन वाले चावल का मामला इससे भिन्न है।