iGrain India - बैंकॉक । हालांकि दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश होने से भारत में धान के उत्पादन क्षेत्र में सुधार आने के संकेत मिल रहे हैं लेकिन थाईलैंड में भयंकर सूखे का संकट उत्पन्न होने की आशंका है जो भारत के बाद चावल का दूसरा सबसे प्रमुख निर्यातक देश है।
थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अनुसार पिछले चार महीनों के अंदर थाईलैंड में चावल का भाव करीब 15 प्रतिशत बढ़ गया है और अब यह 535 डॉलर प्रति टन पर पहुंच चुका है जो मार्च 2021 के बाद का सबसे ऊंचा मूल्य स्तर है।
थाईलैंड में सूखे की स्थिति को देखते हुए सरकार ने किसानों को दूसरे सीजन में धान की खेती से दूर रहने के लिए कहा है। इससे वहां धान-चावल के उत्पादन में भारी गिरावट आने की आशंका है।
एसोसिएशन के मानद अध्यक्ष का कहना है कि थाईलैंड में अल नीनो मौसम चक्र की वजह से सूखे एवं शुष्क स्थिति का प्रभाव सितम्बर से दिसम्बर 2023 के दौरान पड़ना शुरू हो सकता है जिससे उत्पादकों एवं व्यापारियों में चावल का स्टॉक रोकने की स्वीकृति बढ़ेगी। अल नीनो का प्रभाव अगले साल तक बरकरार रह सकता है।
वियतनाम पर भी अल नीनो का आंशिक असर पड़ने की संभावना है जो चावल का तीसरा सबसे प्रमुख निर्यातक देश है। लेकिन अभी निर्यात की स्थिति बेहतर है।
वस्तुत: आगे विषम हालात उत्पन्न होने की आशंका से अनेक देशों ने ऊंचे दाम पर चावल मंगाकर इसका भारी भरकम स्टॉक बनाना शुरू कर दिया है जिसमें फिलीपींस, चीन तथा इंडोनेशिया भी शामिल है जहां वियतनामी चावल का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है।
एक समीक्षक का कहना है कि अल नीनो का प्रभाव चालू वर्ष की अंतिम तिमाही से लेकर अगले साल की पहली तिमाही तक बरकरार रह सकता है। अफ्रीकी देश भारतीय चावल की खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जिससे इसका दाम भी ऊंचा हो गया है।