iGrain India - हैदराबाद । चावल के वैश्विक बाजार मूल्य में तेजी- मजबूती का माहौल अभी बरकरार है और यदि अल नीनो मौसम चक्र का गंभीर प्रकोप सामने आया तो इसके दाम में और बढ़ोत्तरी होने की संभावना रहेगी।
भारत में खरीफ कालीन धान का रकबा पीछे है, थाईलैंड में सरकार ने किसानों को दूसरे सीजन में धान की खेती नहीं करने के लिए कहा है। बांग्ला देश तथा इंडोनेशिया के साथ-साथ पाकिस्तान में भी अल नीनो के प्रकोप से अगले सीजन में धान-चावल का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है।
चीन के कुछ प्रांतों में मूसलाधार वर्षा एवं बाढ़ से तथा कुछ अन्य राज्यों में भीषण गर्मी एवं सूखे से धान की खेती पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है। ध्यान देने की बात है कि भारत दुनिया में चावल सबसे प्रमुख निर्यातक एवं दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022 के दौरान विश्व स्तर पर करीब 560 लाख टन चावल का निर्यात हुआ जिसमें अकेले भारत की भागीदारी 40 प्रतिशत से ज्यादा रही।
यदि किसी कारणवश भारत से निर्यात घटता है तो वैश्विक बाजार मूल्य में उछाल को रोकना कठिन हो जाएगा क्योंकि थाईलैंड में भी उत्पादन कम होगा जबकि वह भारत के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
भारतीय गैर बासमती चावल सबसे सस्ते दाम पर उपलब्ध रहता है इसलिए एशिया तथा अफ्रीका के अनेक गरीब देश दूसरी खरीद में जबरदस्त दिलचस्पी दिखाते हैं।
दक्षिण एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में इस बार अल नीनो मौसम चक्र का खतरा कुछ ज्यादा होने की आशंका है। इसे देखते हुए प्रमुख आयातक देश जल्दी-जल्दी चावल का आयात करके अपने स्टॉक पोजीशन को मजबूत बना रहे है।
अन्य वैकल्पिक खाद्यान्न का बाजार भाव अपेक्षाकृत ऊंचा होने से चावल के प्रति आयातकों का रुझान भारतीय चावल की तरफ बढ़ गया है। भारत की अपनी समस्या और विवशता है।
आमतौर पर सरकार चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के मूड में नहीं है लेकिन यदि परिस्थितियां विषम हुईं तो इसे नियंत्रित करने का प्रयास किया जा सकता है। अल नीनो का खतरा भारत पर भी है और यहां विधानसभाओं तथा लोकसभा का चुनाव भी होने वाला है।
ऐसी हालत में सरकार की प्राथमिकता घरेलू प्रभाग में चावल की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने की होगी। फिलहाल इस खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।