iGrain India - जालंधर । मूसलाधार वर्षा एवं विनाशकारी बाढ़ से पंजाब के कुछ इलाकों में धान की फसल क्षतिग्रस्त हो गई जिसमें सामान्य तथा बासमती- दोनों श्रेणी का धान शामिल है।
लगभग 1.05 लाख हेक्टेयर (2.50 लाख एकड़) क्षेत्र में इसकी दोबारा रोपनी की आवश्यकता पड़ेगी। कृषि विभाग के अनुसार पंजाब के 6-7 जिलों में धान की फसल बर्बाद हुई है।
मूसलाधार बारिश शुरू होने से पूर्व जुलाई के प्रथम सप्ताह तक पंजाब में करीब 27.30 लाख हेक्टेयर में धान की खेती पूरी हो चुकी थी। यह रकबा कुल नियत लक्ष्य 31.67 लाख हेक्टेयर का 86 प्रतिशत था।
उस समय तक गैर बासमती धान की रोपाई बिल्कुल अंतिम चरण में पहुंच गई थी जबकि बासमती धान की बिजाई भी आरंभ हो गई थी। इस बार पंजाब में बासमती धान के उत्पादन क्षेत्र का लक्ष्य बढ़ाकर 6 लाख हेक्टेयर निर्धारित किया गया है।
पंजाब कृषि विभाग के आरंभिक अनुमान के अनुसार 2.37 लाख हेक्टेयर (5.85 एकड़) में धान के खेत बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। मालवा संभाग के पटियाला, संगरूर, फतेहगढ़ साहिब, मोहाली एवं लुधियाना जिलों में तथा दोआब क्षेत्र के जालंधर एवं कपूरथला जिलों में धान की फसल को सर्वाधिक नुकसान हुआ है।
बाढ़ ग्रस्त खेतों के करीब 44 प्रतिशत भाग में फसल के क्षतिग्रस्त होने की आशंका है जहां दोबारा रोपाई की आवश्यकता पड़ेगी। ध्यान देने की बात है कि यह आंकड़ा कृषि विभाग के आरंभिक अनुमान पर आधारित है जबकि उसने अभी तक राजस्व विभाग के साथ मिलकर वास्तविक क्षति का पता लगाने के स्पेशल गिरदावरी शुरू नहीं की है। कृषि विभाग के निदेशक का कहना है कि सभी क्षेत्रों से बाढ़ का पानी उतरने के बाद ही वास्तविक नुकसान का आंकलन हो सकेगा।
केन्द्रीय पूल में धान-चावल का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य- पंजाब में सरकार ने कृषि विश्वविद्यालय से इसमें सहायता देने का आग्रह करते हुए कहा है कि अनेक किसानों द्वारा धान की लगाई गई अधिशेष नर्सरी की खरीद की जाएगी।
कई किसान इसके लिए आगे आए हैं। पंजाब में धान की रोपाई के लिए अभी कुछ समय बचा हुआ है मगर पूसा 1509 एवं पीआर-126 की रोपनी करना बेहतर होगा क्योंकि यह जल्दी तैयार होने वाली किस्में हैं।