iGrain India - रायपुर । छत्तीसगढ़ में मंडी शुल्क में दी जा रही छूट को सरकार द्वारा वापस लिये जाने के बाद कृषि उपज मंडियों में धान का भाव घटकर नीचे आने से किसान किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मंडी शुल्क में जो छूट दी गई थी उसकी अवधि 12 जुलाई को समाप्त हो गई। चूंकि उसके बाद सरकार की तरफ से कोई नया आदेश सामने नहीं आया जिसमें छूट की समय सीमा बढ़ाने की बात कही गई हो इसलिए कृषि उपज मंडियों में मंडी शुल्क पुनः प्रभावी हो गया है।
ध्यान देने की बात है कि छत्तीसगढ़ में कुल मिलाकर 5.20 प्रतिशत का मंडी टैक्स (मार्केट फीस) वसूला जाता है जिसमें 3 प्रतिशत का मंडी शुल्क, किसान कल्याण सेस का 2 प्रतिशत तथा अन्य टैक्स के रूप में 0.20 प्रतिशत का शुल्क शामिल है।
पहले व्यापारियों को सिर्फ 2 प्रतिशत का मंडी शुल्क देना पड़ता था लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने दिसम्बर 2022 में आदेश को संशोधित करके 5.20 प्रतिशत का शुल्क लागू कर दिया।
बाद में व्यापारियों के सख्त विरोध को देखते हुए राज्य सरकार ने 12 जुलाई तक के लिए इस शुल्क की अदायगी से छूट देने की घोषणा की थी जिसकी मियाद पूरी हो गई।
प्रचलित नियम के अनुसार किसान पहले सीधे सरकारी संस्था- प्राइमरी को ऑपरेटिव सोसायटी को अपना उत्पाद बेचता है जहां राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इस धान की खरीद करती है।
पिछले खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान सरकार द्वारा किसानों से लगभग 70 लाख टन धान की खरीद की गई थी। छत्तीसगढ़ केन्द्रीय पूल में धान-चावल का योगदान देने वाले अग्रणी राज्यों में शामिल है।
धान की खेती के प्रति वहां किसानों में जबरदस्त उत्साह एवं आकर्षण बना हुआ है क्योंकि राज्य सरकार इस पर अच्छी सब्सिडी देती है जिससे उत्पादकों को भारी फायदा होता है।
मंडी शुल्क में जब तक छूट जारी रही तब तक वहां धान के दाम में तेजी का माहौल बना रहा लेकिन शुल्क में छूट वापस लिए जाने के बाद व्यापारियों का खर्च बढ़ गया इसलिए धान की कीमतों में नरमी आ रही है।