iGrain India - मेलबर्न । ऑस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो ने कहा है कि यद्यपि अल नीनो मौसम चक्र के उत्पन्न एवं विकास के लिए चार आवश्यक शर्तों में से तीन शर्तें तो पूरी हो गई हैं लेकिन प्रशांत महासागर और वायुमंडल अब तक पूरी तरह एकाकार नहीं हो पाया है जैसे कि अल नीनो मौसम चक्र के दौरान अक्सर हो जाता है।
ब्यूरो के नए अपडेट में कहा गया है कि प्रशांत महासागर के पूर्वी एवं मध्यवर्ती भाग में समुद्र के धरातल का तापमान (एसएसटी) अल नीनो की उत्पत्ति के लिए आवश्यक आधार स्तर से ऊपर हो गया है।
मॉडल्स से संकेत मिलता है कि समुद्र की सतह आगे और गर्म हो सकती है और कम से कम चालू वर्ष के अंत तक तापमान आधार स्तर से ऊपर ही रहने की संभावना है।
ब्यूरो के मुताबिक अल नीनो के दक्षिणी दोलन (ऑसिलेशन) का परिदृश्य अल नीनो के अलर्ट स्तर पर बरकरार है। भूतकाल में जब कभी अल नीनो अलर्ट की शर्त पूरी हुई है तब करीब 70 प्रतिशत समयावधि में यह मौसम चक्र विकसित हुआ है।
मालूम हो कि प्रशांत महासागर में एसएसटी के गर्म होने से अल नीनो बनता है और इससे एशिया, खासकर भारत में सूखा पड़ने या बारिश कम होने का खतरा बढ़ जाता है।
भारत के साथ-साथ दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया तथा लैटिन अमरीका के कुछ देशों में भी अल नीनो के प्रभाव से बारिश कम होने की परिपाटी रही है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि जून में दक्षिणी दोलन सूचकांक वापस उदासीन या न्यूट्रल स्तर पर पहुंच गया। 16 जुलाई तक इसकी अवस्था में ज्यादा परिवर्तन नहीं देखा गया लेकिन अब इसमें कुछ हरकत आने लगी है।
हवा, बादल एवं विस्तृत स्तर पर दाब को पैटर्न में निरन्तर होने वाला बदलाव अभी तक नहीं देखा गया है जबकि अल नीनो के लिए यह आवश्यक माना जाता है।
इसके फलस्वरूप प्रशांत महासगार और वायु मंडल अभी तक युग्मित नहीं हो पाया है। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अल नीनो फिलहाल प्रभावी नहीं हुआ है मगर आगे इसकी आशंका बनी हुई है।