iGrain India - मुम्बई । चालू वर्ष के दौरान हल्दी के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने की संभावना है। कुछ इलाकों में भारी वर्षा एवं खेतों में जल जमाव के कारण बोई गई फसल को नुकसान भी हुआ है। वहां दोबारा बिजाई की आवश्यकता है मगर हल्दी के बीज की कमी के कारण इसमें दिक्कत हो रही है।
घरेलू बाजार पर इसका सकारात्मक मनोवैजानिक असर पड़ रहा है और हल्दी की कीमतों में भारी तेजी का रुख बना हुआ है। इसका दाम उछलकर पिछले करीब 13 वर्षों के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है।
कुछ व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि इस बार हल्दी का दाम उछलकर 2010 के स्तर तक पहुंच सकता है जब इसका हाजिर बाजार भाव उछलकर 1.70 लाख रुपए प्रति टन या 170 रुपए प्रति किलो के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था।
18 जुलाई 2023 को अक्टूबर अनुबंध के लिए हल्दी का वायदा भाव 13 हजार रुपए प्रति क्विंटल से आगे निकलते हुए 13,042 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंचा था लेकिन बाद में कुछ नरम पड़कर 12,832 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ है।
जहां तक हाजिर भाव का सवाल है तो फिंगर वैरायटी की हल्दी का मॉडल मूल्य निजामाबाद मंडी में 9898 रुपए प्रति क्विंटल तथा महाराष्ट्र के नांदेड में 9800 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।
इसका मतलब यह हुआ कि स्पॉट मूल्य भी 10,000 रुपए प्रति क्विंटल को छूने के करीब है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार हल्दी की निर्यात मांग मजबूत बनी हुई है जबकि अच्छी क्वालिटी के माल की आवक लगातार घटती जा रही है।
इस बार बिजाई में देर हो गई है और क्षेत्रफल भी घटने की संभावना है। उत्पादक क्षेत्रों में मौसम एवं वर्षा की हालत पूरी तरह अनुकूल नहीं है जिससे फसल को नुकसान होने के संकेत मिल रहे हैं।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 के वित्त वर्ष में देश से हल्दी का निर्यात 11 प्रतिशत बढ़कर 1,70,085 टन पर पहुंच गया। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा एवं विदर्भ संभाग में मानसूनी बारिश की भारी कमी देखी जा रही है।
अभी यह कमी 50 प्रतिशत के करीब है जबकि अल नीनो के आने पर और भी बढ़ सकती है। इसी तरह कर्नाटक एवं तेलंगाना में भी सामान्य से कम वर्षा हुई है।
महाराष्ट्र के साथ-साथ तमिलनाडु, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में भी हल्दी के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आई है। यदि आगामी समय में अच्छी बारिश हुई तब भी महाराष्ट्र में किसानों को दोबारा बिजाई करने में कठिनाई होगी क्योंकि हल्दी के बीज का अभाव हो गया है।