iGrain India - नई दिल्ली । लैटिन अमरीका में अवस्थित ब्राजील दुनिया में चीनी का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है जबकि दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बनने के लिए दो एशियाई देशों- भारत एवं थाईलैंड के बीच जोरदार प्रतिस्पर्धा रहती है।
परम्परागत रूप से थाईलैंड इसका दूसरा सबसे प्रमुख निर्यातक देश रहा है लेकिन 2021-22 के सीजन में 110 लाख टन चीनी का रिकॉर्ड शिपमेंट करके भारत दूसरे नम्बर पर पहुंच गया था।
पिछले कुछ वर्षों से भारतीय चीनी के निर्यात में अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही थी लेकिन 2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन में कम उत्पादन के कारण निर्यात घटकर 60 लाख टन के आसपास सिमट गया।
2023-24 का नया मार्केटिंग सीजन अक्टूबर से आरंभ होने वाला है और उसमें भी चीनी के घरेलू उत्पादन में ज्यादा बढ़ोत्तरी होने के आसार नहीं हैं।
यद्यपि गन्ना के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन आगामी महीनों का मौसम अनुकूल रहने में संदेह है क्योंकि अल नीनो मौसम चक्र के आने का खतरा बरकरार है।
जहां तक थाईलैंड का सवाल है तो वहां चालू वर्ष के दौरान वहां न केवल गन्ना के बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट आने के संकेत मिल रहे हैं बल्कि मौसम शुष्क रहने से इसकी औसत उपज दर भी घटने की आशंका है जिससे गन्ना की कुल पैदावार में भारी कमी आ सकती है और तदनुरूप चीनी का उत्पादन कम हो सकता है।
उत्पादन घटने पर वहां चीनी का निर्यात योग्य स्टॉक कम बचेगा और शिपमेंट में भी कमी आएगी। लेकिन भारत को इसका विशेष फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि यहां भी गन्ना एवं चीनी के उत्पादन में बढ़ोत्तरी की संभावना बहुत कम है जबकि चीनी की मांग एवं खपत बढ़ने के आसार हैं।
ज्ञात हो कि दुनिया में चीनी की सर्वाधिक खपत भारत में होती है और सरकार इसके निर्यात संवर्धन के बजाए घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने को प्राथमिकता देती है।
थाईलैंड में 90-110 लाख टन के बीच चीनी का वार्षिक उत्पादन होता है जिसमें से 70-90 लाख टन तक का निर्यात हो जाता है। जबकि भारत में 300 लाख टन से अधिक उत्पादन होने के बाद इसका निर्यात थाईलैंड से अक्सर नीचे ही रहता है।