iGrain India - राजकोट । दक्षिणी गुजरात में मानसून की सक्रियता बढ़ने से जीरा की आवक प्रभावित होने लगी है। यद्यपि इसका दाम उछलकर नए-नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहा है लेकिन फिर भी मंडियों में इसकी अपेक्षित आपूर्ति नहीं हो रही है।
इससे संकेत मिलता है कि बड़े-बड़े उत्पादकों और व्यापारियों के पास या तो स्टॉक कम बचा है या फिर वे कीमतों में कुछ और तेजी आने का इंतजार कर रहे हैं। सीमित आवक एवं अच्छी मांग के कारण निकट भविष्य में जीरा का भाव मजबूत रहने तथा त्यौहारी सीजन के दौरान ऊंचा होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
गुजरात की ऊंझा मंडी में जीरा का भाव 11,350-11,500 रुपए प्रति 20 किलो पर चल रहा है। पिछले दिन इसमें 100 रुपए की नरमी आई थी लेकिन इससे बाजार पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा।
दरअसल अन्य निर्यातक देशों- तुर्की, सीरिया एवं अफगानिस्तान में जीरे का पुराना स्टॉक लगभग समाप्त हो चुका है जबकि नई फसल की आवक अभी जोर नहीं पकड़ पाई है इसलिए भारत वैश्विक बाजार में इसका एक मात्र प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश, बना हुआ है।
इस वर्ष भारत में जीरा का उत्पादन उम्मीद से काफी कम हुआ है और पिछला स्टॉक भी ज्यादा नहीं है इसलिए आगामी महीनों में इसकी मांग एवं आपूर्ति का संतुलन बिगड़ने की आशंका है।
घरेलू एवं निर्यात मांग को पूरा करने के लिए कम से कम 80-85 लाख बोरी (55 किलो की प्रत्येक बोरी) जीरे की आवश्यकता पड़ेगी जबकि इसकी कुल उपलब्धता 65-70 लाख बोरी तक ही पहुंचने की संभावना है। समझा जाता है कि मार्च-अप्रैल में गुजरात तथा राजस्थान में मौसम प्रतिकूल होने से जीरे की फसल को काफी नुकसान हुआ जिससे इसके उत्पादन में गिरावट आ गई और इसकी क्वालिटी भी प्रभावित हुई।
उत्पादकों द्वारा सीमित मात्रा में जीरा का स्टॉक बाजार में उतारा जा रहा है जिससे कीमतों में तेजी का रूख बन सकता है। दिल्ली थोक किराना बाजार में जीरा का दाम पिछले दिन 64000/67000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा था।
16 अगस्त को अधिमास (मल मास) समाप्त होगा और तब त्यौहारी सीजन आरंभ हो जाएगा। इससे जीरे की मांग बढ़ेगी जबकि आपूर्ति में ज्यादा इजाफा नहीं होगा। अगस्त से जीरे की आपूर्ति का ऑफ़ सीजन भी शुरू हो जाता है।