iGrain India - नई दिल्ली । आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में तुवर का आयात अप्रैल-जून 2022 के 77 हजार टन से उछलकर अप्रैल-जून 2023 में 1.46 लाख टन तथा उड़द का आयात 76 हजार टन से बढ़कर 1.007 लाख टन पर पहुंच गया।
यह वह समय था जब म्यांमार में इन दोनों दलहनों का भाव ऊंचा चल रहा था। अब इसमें काफी नरमी आ गई है जिससे भारतीय आयातकों को इसकी अधिक मात्रा मंगाने का प्रोत्साहन मिलेगा।
एक अग्रणी एग्री कॉमोडिटी मार्केट रिसर्च फर्म- आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान के अनुसार म्यांमार से भारत में उड़द के आयात का खर्च अप्रैल के आरंभ में 900 डॉलर प्रति टन चल रहा था जो मध्य जून तक बढ़कर 1030 डॉलर प्रति टन की ऊंचाई पर पहुंचा लेकिन अब गिरकर 940 डॉलर प्रति टन के करीब आ गया है।
इसी तरह बर्मा लेमन तुवर का आयात खर्च आरंभिक अप्रैल के 1010 डॉलर प्रति टन से उछलकर मध्य जून में 1365 डॉलर प्रति टन की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अब गिरकर 1250 डॉलर प्रति टन पर आ गया है।
राहुल चौहान के मुताबिक म्यांमार में करीब 4.00-4.50 लाख टन उड़द तथा करीब 50 हजार टन तुवर का स्टॉक बचा हुआ है और वह नई फसल के आने से पूर्व इसका अधिकांश भाग निर्यात करना चाहता है।
इसके फलस्वरूप वहां इन दोनों दलहनों का भाव लगभग स्थिर या कुछ नरम पड़ने की संभावना है। जुलाई में म्यांमार से उड़द एवं तुवर के आयात में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है जिसका सिलसिला अगस्त में भी जारी रह सकता है। सितम्बर तक भारत में इन दोनों दलहनों के नए माल की आपूर्ति नहीं होगी जबकि मांग एवं खपत में अच्छी बढ़ोत्तरी हो सकती है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में खरीफ कालीन दलहन फसलों का कुल रकबा पिछले साल के 77.13 लाख हेक्टेयर से घटकर इस वर्ष 14 जुलाई तक 66.92 लाख हेक्टेयर रह गया।
इसके तहत खासकर तुवर का उत्पादन क्षेत्र 27.60 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 17.03 लाख हेक्टेयर तथा उड़द का बिजाई क्षेत्र 20.43 लाख हेक्टेयर से घटकर 19.36 लाख हेक्टेयर पर आ गया। कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में तुवर का क्षेत्रफल गत वर्ष से काफी पीछे चल रहा है जबकि ये दोनों इस महत्वपूर्ण दलहन का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है।