iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने एवं कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से गैर बासमती संवर्ग के कच्चे (सफेद) चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है जो 20 जुलाई 2023 से ही प्रभावी हो चुका है।
उल्लेखनीय है कि सितम्बर 2022 में कच्चे (सफेद) एवं स्टीम चावल पर 20-20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया था जबकि टुकड़ी चावल का निर्यात पूरी तरह रोक दिया गया था।
इसके बावजूद 2022-23 के वित्त वर्ष में चावल का निर्यात बढ़ गया। इस बार धान का क्षेत्रफल पीछे चल रहा है जबकि आगे अल नीनो का खतरा है। सरकार के पास भी चावल का सीमित स्टॉक है जबकि आगामी महीनों में कई राज्यों में विधानसभा का तथा अगले वर्ष लोकसभा का चुनाव होने वाला है इसलिए सरकार को सफेद चावल के निर्यात पर पाबंदी लगाने की आवश्यकता महसूस हुई। चावल का घरेलू बाजार मूल्य बढ़ने लगा था।
लेकिन कुछ शर्तों पर निर्यातकों को सफेद- चावल का निर्यात करने की अनुमति दी गई है जिसमें जहाजों पर चावल की हो रही या हो चुकी लोडिंग, जहाजों के बंदरगाह पर पहुंचने एवं बर्थ हासिल करना, कस्टम विभाग को खेप सुपुर्द करना और उसके सिस्टम में इसे दर्ज करवाना आदि शामिल है।
जरूरतमंद देशों को सरकारी अनुमति से चावल का शिपमेंट किया जा सकेगा बशर्ते उसकी सरकार इसके लिए अनुरोध करे।
केन्द्र सरकार द्वारा सफेद चावल के निर्यात पर अचानक प्रतिबंध लगाने की घोषणा किए जाने से निर्यातक स्तब्ध हैं।
हालांकि पिछले कुछ दिनों से लेटर ऑफ क्रेडिट बनाने की होड़ मची हुई थी जिससे लगता है कि बड़ी-बड़ी कंपनियों को पहले ही इसकी भनक लग गई थी लेकिन अन्य निर्यातक इसमें पिछड़ गए। कुछ निर्यातकों का कहना है कि यह सरकार का एक अस्थायी उपाय है और छह-साथ माह के बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी।
लेकिन वैश्विक बाजार में चावल का भाव तेज होने के आसार हैं जिससे खासकर वियतनाम एवं पाकिस्तान को फायदा होने की उम्मीद है। चावल का वायदा मूल्य भी तत्काल सीबोट में 1 प्रतिशत बढ़ गया। अफ्रीकी देशों में भारत सरकार के इस निर्णय से भारी चिंता एवं असंतोष उत्पन्न हो गया है।