iGrain India - मास्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन के साथ अनाज निर्यात का जो नौ वहन करार हुआ था उसमें कहा गया था कि यूक्रेन खाद्यान्न के निर्यात में अफ्रीका के गरीब देशों को प्राथमिकता देगा लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ और पश्चिमी देशों ने पूरी निर्लजता के साथ यूक्रेन का अनाज हासिल कर लिया।
इसे देखते हुए करार का जारी रखने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि यह अपने मूल मानवीय उद्देश्य को पूरा करने में सफल नहीं हो सका। सेंट पीट्स वर्ग में द्वितीय रूस - अफ्रीका सम्मिट तथा रूस- अफ्रीका आर्थिक एवं मानवीय फोरम की बैठक शुरू होने से पूर्व इस तरह की बात कही गई है।
राष्ट्रपति द्वारा लिखे गए एक आलेख में कहा गया है कि आरंभिक चरण में रूस इस करार पर इसलिए सहमत हुआ था क्योंकि वह वैश्विक खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहता था और अफ्रीका, एशिया तथा लैटिन अमरीका में भुखमरी के खतरे को घटाने का इच्छुक था।
यद्यपि पश्चिमी देशों ने सार्वजनिक तौर पर इस-करार को सद्भावना वाला बताकर कहा था कि इससे अफ्रीकी देशों को राहत मिलेगी लेकिन हकीकत यह है कि जो अनाज अफ्रीका को मिलना चाहिए था वह पश्चिमी देशों ने हड़प लिया और यूक्रेन ने इस पर कोई आपत्ति भी नहीं जताई।
अफ्रीका की स्थिति में तो कोई बदलाव नहीं हुआ लेकिन अमरीका और पश्चिमी यूरोप के देशों ने यूक्रेन से सस्ते दाम पर अनाज खरीदार उसे महंगे मूल्य पर अन्य देशों को बेच दिया और इस तरह मोटा मुनाफा कमा लिया। रूस को यह स्थिति मंजूर नहीं थी।
इथोपिया, सूडान, सोमालिया, यमन तथा अफगानिस्तान जैसे गरीब देशों को यूक्रेन से 3 प्रतिशत से भी कम अनाज का निर्यात किया गया जबकि यूरोपीय संघ को 70 प्रतिशत का निर्यात हुआ।