iGrain India - कोच्चि । ऐसा प्रतीत होता है कि आमतौर पर मसाला बाजार में जारी तेजी के माहौल का असर कालीमिर्च के दाम पर भी पड़ने लगा है। कोच्चि के टर्मिनल मार्केट में आपूर्ति कम होने से बिकवाली का कोई खास दबाव नहीं है जबकि इसमें मांग लगभग सामान्य बनी हुई है।
इसके फलस्वरूप कीमतों में धीरे-धीरे मजबूती का रुख बनने लगा है। आगामी समय में भी भाव काफी हद तक मजबूत रहने की संभावना है। इसके नए माल की आवक शुरू होने में चार-पांच माह की देर है।
कालीमिर्च के दोनों प्रमुख उत्पादक राज्यों- कर्नाटक एवं केरल में इस बार मानसून की बारिश सामान्य औसत स्तर से कम हुई है जबकि मानसून- पूर्व की वर्षा भी कमजोर रही थी।
उल्लेखनीय है कि मोटे तौर पर देश में कालीमिर्च का 55 प्रतिशत उत्पादन कर्नाटक में 40 प्रतिशत केरल में तथा 5 प्रतिशत उत्पादन तमिलनाडु में होता है।
यदि आगामी महीनों के दौरान कर्नाटक और केरल में अच्छी बारिश नहीं हुई तो कालीमिर्च का अगला उत्पादन प्रभावित हो सकता है। विदेशों से इसका आयात सीमित हो गया है जबकि अगले महीने से देश में त्यौहारी सीजन आरंभ होने वाला है।
खपत केन्द्रों में माल का लम्बा-चौड़ा स्टॉक मौजूद नहीं है। दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों में 7-8 महीने से कालीमिर्च की आवक हो रही है और अब उत्पादकों तथा स्थानीय डीलर्स- स्टॉकिस्टों के पास भी माल का कम स्टॉक बचा है।
उत्पादकों से व्यापारी सीधे माल खरीदने का प्रयास कर रहे हैं जिससे मंडियों में इसकी ज्यादा आपूर्ति नहीं हो रही है। मोटे अनुमान के अनुसार इस बार केरल में कालीमिर्च के उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है जबकि कर्नाटक में स्थिति इससे भी खराब रहने की आशंका है।
श्रीलंका एवं वियतनाम से पहले अच्छी मात्रा में कालीमिर्च का आयात हो रहा था जो अब बहुत कम हो रहा है। बाजार में आ रही मजबूती को देखते हुए बड़े-बड़े उत्पादकों ने कालीमिर्च की बिकवाली घटाकर स्टॉक रोकना शुरू कर दिया है।