iGrain India - नई दिल्ली । गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात प्रतिबंध लगाने के बाद केन्द्र सरकार ने एथनॉल निर्माण के लिए रियायती मूल्य पर उपलब्ध करवाए जाने वाले चावल की आपूर्ति रोक दी है ताकि मानवीय खाद्य उद्देश्य के लिए इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
वैसे सरकार के इस निर्णय से एथनॉल उत्पादकों को कठिनाई होगी और पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण की योजना पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अनेक अनसुलझे मामले का निस्तारण होने के बाद ही निर्माताओं को चावल की दोबारा आपूर्ति शुरू हो पाएगी।
सरकार को यह शिकायत मिली थी की अनाज पर आधारित कुछ डिस्टीलरीज रियायती मूल्य पर चावल हासिल करके उसे ऊंचे दाम पर खुले बाजार में बेच रही हैं। इस आरोप की जांच- की जाएगी और हकीकत सामने आने के बाद ही डिस्टीलरीज को चावल की दोबारा आपूर्ति शुरू करने पर विचार किया जाएगा।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से सस्ता चावल नहीं मिलने के कारण उत्तर प्रदेश में 10-12 डिस्टीलरीज एवं महाराष्ट्र में 15-16 इकाइयों ने अपना काम रोक दिया है।
उधर सरकार को भरोसा है कि इस कदम से कुल मिलाकर एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईपीपी) कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। फीड ग्रेड के चावल की अनुपलब्धता का मामला अस्थायी है और शीघ्र ही सुलझ जाएगा।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य रखा है जबकि 2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (दिसम्बर-नवम्बर) में 11.65 प्रतिशत तक ही मिश्रण पहुंच पाया है।
गन्ना से एथनॉल बनाने की प्रक्रिया जारी है। एथनॉल निर्माण में चावल के अलावा कुछ अन्य अनाजों का भी इस्तेमाल किया जाता है। सरकार ने एफसीआई के चावल के डायवर्जन की शिकायत का पता लगाने के लिए आंतरिक जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।
मालूम हो कि खाद्य निगम एथनॉल निर्माण के लिए मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) अनाज से निर्मित एथनॉल की खरीद 58.50 रुपए प्रति लीटर के मूल्य पर करती हैं। क्षतिग्रस्त चावल से निर्मित एथनॉल का मूल्य 55.54 रुपए प्रति लीटर है।