iGrain India - हैदराबाद । भारत सरकार द्वारा गैर बासमती संवर्ग के सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाये जाने से वैश्विक बाजार में अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है और अब यह पूरी तरह विक्रेताओं का बाजार बन गया है।
समीक्षकों के अनुसार समुद्र में माल ढोने वाले जहाजों पर ही चावल का दाम 50 से 100 डॉलर प्रति टन तक बढ़ाया जा रहा है।
ध्यान देने वाली बात है कि भारत से अगले अनुबंध के लिए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा है जबकि पुराने दायित्वों के निपटान के तहत चावल का शिपमेंट अभी जारी है। दिलचस्प तथ्य यह है कि फिलहाल थाईलैंड और पाकिस्तान की ओर से चावल का कोई ऑफर नहीं दिया जा रहा है पिछले चार दिनों से खरीद-बिक्री बंद पड़ी है।
चावल से लदा जो जहाज समुद्र में है उसका दाम 50-100 डॉलर प्रति टन बढ़ा दिया गया है और इसके लिए दोनों पक्षों में दोबारा बातचीत हो रही है।
यह स्पष्ट हो गया है कि जब तक भारत से चावल का निर्यात बंद रहेगा तब तक इसकी कीमतों में तेजी-मजबूती बरकरार रह सकती है। आयातक इसकी खरीद का हर संभव प्रयास कर रहे हैं मगर निर्यातक मनमानी पर उतर आए हैं।
खाड़ी क्षेत्र के देशों में सोना मसूरी एवं पोनी चावल की भारी मांग रहती है। वहां से बार-बार इसके लिए गुहार लगाई जा रही है। खाड़ी क्षेत्र के देश अब सिंगापुर तक पहुंच गए हैं जहां बड़े-बड़े स्टॉकिस्ट छह माह तक का स्टॉक रखते हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि सोना मसूरी एवं पोनी चावल को वहां बासमती से भी ज्यादा या उसके समकक्ष पसंद किया जाता है। निर्यातक इससे अवगत हैं इसलिए वे इसका दाम बढ़ा रहे हैं। कुछ किस्मों के चावल का भाव पहले ही बढ़कर 600 डॉलर प्रति टन पर पहुंच चुका है।