iGrain India - नई दिल्ली । भारत सरकार द्वारा पहले 100 प्रतिशत टूटे चावल और अब सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने से न केवल वैश्विक बाजार में भाव बढ़ने की संभावना है बल्कि आयातक देशों के लिए गंभीर चुनौती भी उत्पन्न हो सकती है।
खराब मौसम एवं यूक्रेन से शिपमेंट ठप्प पड़ने के कारण वैश्विक खाद्य बाजार में पहले से ही अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है जबकि भारत से सफेद चावल का निर्यात रुकने से स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी।
थाई चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष का कहना है कि निकट भविष्य में चावल का भाव निश्चित रूप से बढ़ेगा। देखना यह है कि यह ऊपर में कहां तक पहुंचता है।
चावल का दाम किसी एक देश में नहीं बल्कि सभी निर्यातक देशों में तेज होने वाला है जिससे आयातकों की परेशानी बढ़ जाएगी। दरअसल चावल के वैश्विक बाजार में आपूर्ति एवं कीमतों की दृष्टि से भारत का सबसे ज्यादा प्रभाव रहता है।
एशिया और अफ्रीका के करोड़ों लोगों के लिए चावल मुख्य खाद्य आहार है। पिछले साल सितम्बर में जब भारत में सफेद चावल एवं स्टीम चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया था तब भी इसके दाम में बढ़ोत्तरी हुई थी लेकिन भारत से इसकी आपूर्ति में कोई बाधा नहीं पड़ी थी इसलिए बाजार में संतुलन बना रहा था। लेकिन इस बार स्थिति भिन्न है।
भारत से निर्यात रुकने पर असंतुलन पैदा होने की आशंका है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर का कहना है कि भारत सरकार द्वारा सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का बेस कारण हो सकता है लेकिन यह भी सही है कि बहुत जल्दी एशियाई निर्यातक देशों में इसके दाम में अनियंत्रित उछाल आ सकता है क्योंकि उत्पादक और निर्यातक अपनी मनमानी कर सकते हैं।
इसके संकेत भी मिलने लगे हैं। थाईलैंड और पाकिस्तान के निर्यातकों ने नया अनुबंध करना रोक दिया है क्योंकि उसे आगामी दिनों में चावल का भाव तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। वियतनाम और म्यांमार के निर्यातक भी मिलने लगे हैं।
थाईलैंड और पाकिस्तान के निर्यातकों ने नया अनुबंध करना रोक दिया है क्योंकि उसे आगामी दिनों में चावल का भाव तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। वियतनाम और म्यांमार के निर्यातक भी काफी हद तक शांत हो गए हैं।
हालांकि भारत से गैर बासमती संवर्ग के सेला चावल का निर्यात जारी है मगर अफ्रीकी देश सफेद चावल को ज्यादा पसंद करते हैं इसलिए इसके दाम में जोरदार बढ़ोत्तरी होने पर संकट बढ़ सकता है।