iGrain India - हैदराबाद । केन्द्र सरकार द्वारा 20 जुलाई को सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इसके घरेलू बाजार मूल्य में नरमी आना शुरू हो गया और अब तक इसमें 4000 रुपए प्रति टन तक की गिरावट आ चुकी है।
उधर अफ्रीकी देश सेनेगल ने व्यापारियों के लिए चावल पर स्टॉक सीमा लगा दिया है जबकि थाईलैंड ने चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में 20 डॉलर प्रति टन का अतिरिक्त बढ़ोत्तरी कर दी है।
ध्यान देने की बात है कि भारत से चावल के होने वाले कुल वार्षिक निर्यात में सफेद (कच्चे) चावल की भागीदारी 40 प्रतिशत के आसपास रहती है।
चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष का कहना है कि सफेद चावल का भाव 32,000 रुपए प्रति टन से घटकर 28,000 रुपए प्रति टन पर आ गया है। निर्यात प्रतिबंध से पूर्व दक्षिण- पूर्व एशिया को इसके निर्यात की गति धीमी पड़ गई थी क्योंकि इसका भाव ऊंचा होने की शिकायत कर रहे थे।
कृषि जिंस निर्यातक संघ के अध्यक्ष का कहना है कि अब इन देशों को और भी ऊंचे दाम पर चावल खरीदने के लिए विवश होना पड़ सकता है।
इस बीच सेनेगल अफ्रीका महाद्वीप का ऐसा पहला देश बन गया है जिसने कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी को देखते हुए टुकड़ी चावल के व्यापारियों- स्टॉकिस्टों पर भंडारण सीमा लागू करने का निर्णय लिया है।
सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि अधिकारियों द्वारा की गई जांच-पड़ताल से इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि भारतीय व्यापारियों ने सेनेगल की राजधानी (डकार) में विशाल मात्रा में टुकड़ी चावल का स्टॉक जमा कर रखा है और वे उसे बाजार में सीमित मात्रा में उतार रही हैं जिससे इसका दाम तेज होता जा रहा है।
आमतौर पर सेनेगल में व्यापारियों के एक साल तक की खपत के लायक टुकड़ी चावल का स्टॉक रखने की अनुमति दी जाती है। लेकिन अब इसकी उच्चतम सीमा 500 टन निर्धारित कर दी गई।
सरकारी आदेश में कहा गया है कि यह अस्थायी उपाए है और तब तक लागू रहेगा जबकि घरेलू प्रभाग में ब्रोकन चावल का भाव घटकर सामान्य स्तर पर नहीं आ जाता है।
दरअसल भारत में सफेद चावल का निर्यात रोके जाने की घोषणा के बाद कंपनियों ने अफ्रीकी देशों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर दिया है जिसमें उप सहारा क्षेत्र तथा मध्य-पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका (मेना संभाग) भी शामिल है।
जिबूती, लाइबेरिया, कतर, गाम्बिया तथा कुवैत-ये पांच देश ऐसे हैं जिसकी पहचान चावल के दाम में बढ़ोत्तरी वाले बाजार के रूप में की गई है।