iGrain India - वाशिंगटन । अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत सरकार से गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने का आग्रह किया है।
उल्लेखनीय है कि घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति को सुगम बनाने तथा खुदरा मूल्य को आगामी त्यौहारी सीजन के दौरान नियंत्रण में रखने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने 20 जुलाई 2023 को गैर बासमती संवर्ग के सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। भारत से चावल के कुल निर्यात में सफेद चावल की भागीदारी 25 प्रतिशत से ज्यादा रहती है।
केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा था कि ग़ैर बासमती सेला चावल तथा बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं होगा और इसका शिपमेंट पहले की तरह जारी रहेगा।
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा है कि इस तरह के प्रतिबंध से वैश्विक बाजार में खाद्य उत्पादों की कीमतों में जोरदार अस्थिरता आने की संभावना रहती है।
इसके फलस्वरूप आईएमएफ इस तरह के निर्यात प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह करेगा क्योंकि यह वैश्विक खाद्य बाजार के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
भारत से सफेद चावल का निर्यात 2021-22 के 26.20 लाख टन से उछलकर 2022-23 में 42 लाख टन पर पहुंच गया। संसार के अनेक देश इसकी खरीद में भारी दिलचस्पी दिखाते हैं।
इससे पूर्व सरकार ने सितम्बर 2022 में सफेद चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा दिया था लेकिन जब इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो 20 जुलाई 2023 को इसके निर्यात को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित सूची में डाल दिया।
आईएमएफ को लगता है कि भारत से शिपमेंट बंद होने के बाद वैश्विक बाजार में सफेद चावल का भाव तेजी से उछल सकता है जिससे खासकर गरीब देशों का संकट बढ़ जाएगा।
ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार निकट भविष्य में सफेद चावल के निर्यात प्रतिबंध के निर्णय को वापस नहीं लेगी क्योंकि इससे घरेलू प्रभाग में समस्या उत्पन्न हो सकती है।
आईएमएफ का कहना है कि घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ने की आशंका को समझा जा सकता है लेकिन वैश्विक बाजार के संकट को भी समझने की आवश्यकता है इसलिए भारत सरकार को क्रमबद्ध रूप से निर्यात नियंत्रण को हटाने के बारे में विचार करना चाहिए।