iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से रियायती मूल्य वाले चावल की आपूर्ति अचानक बंद होने से अनाज पर आधारित कुछ एथनॉल प्लांटों में कार्य रुक गया है जबकि अन्य प्लांटों में वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।
इस बीच चीनी मिलों को भरोसा है कि यदि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने के लिए उद्योग को दायित्व दिया तो एथनॉल उत्पादन में उसकी भागीदारी निश्चित रूप से बढ़ जाएगी।
एक अग्रणी उद्योग समीक्षक के अनुसार चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को अब तक जितना एथनॉल मिला है उसमें 81 प्रतिशत का योगदान गन्ना आधारित प्लांटों का रहा है जबकि अनाज पर आधारित इकाइयों की भागीदारी केवल 19 प्रतिशत रही।
इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि चीनी उद्योग एथनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) के तहत नियत लक्ष्य को हासिल करवाने में सक्षम हो सकता है।
वर्तमान मार्केटिंग सीजन (दिसम्बर 2022- नवम्बर 2023) के दौरान ओएमसी द्वारा अब तक कुल 5.53 अरब लीटर एथनॉल की खरीद का अनुबंध किया गया है जिसमें से डिस्टीलरीज द्वारा 9 जुलाई 2023 तक 3.51 अरब लीटर की आपूर्ति कर दी गई जो पेट्रोल में एथनॉल के 11.75 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य के बराबर है।
सरकार ने 2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के लिए 12 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है। आगामी समय में 2 अरब लीटर अतिरिक्त एथनॉल की आपूर्ति होनी है जिससे नियत लक्ष्य की प्राप्ति हो जाएगी।
समीक्षकों के अनुसार एथनॉल मिश्रण योजना के तहत एथनॉल की कुल आपूर्ति में गन्ना आधारित तथा अनाज आधारित प्लांटों की जो भागीदारी पहले निश्चित की गई थी उसकी दोबारा समीक्षा करने की जरूरत है।
चूंकि चीनी मिलें इसमें अपना योगदान बढ़ाने की स्थिति में है इसलिए उसकी हिस्सेदारी बढ़ाई जानी चाहिए। सरकार को यह हिस्सेदारी बढ़ाकर 8 अरब लीटर नियत करनी चाहिए क्योंकि चीनी उद्योग एथनॉल उत्पादन की अपनी क्षमता में आवश्यक बढ़ोत्तरी करने के लिए तैयार है।