iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय का साप्ताहिक बिजाई आंकड़ा कल सामने आएगा लेकिन पिछले सप्ताह तक के आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि खरीफ कालीन दलहन फसलों के उत्पादन का परिदृश्य उत्साहवर्धक नहीं है।
अच्छी खबर यह है कि महाराष्ट्र के उन इलाकों में अब अच्छी बारिश होने लगी है जहां अरहर (तुवर) की खेती बड़े पैमाने पर होती है। वैसे इसकी बिजाई का विशुद्ध आदर्श समय तो अब नहीं रहा लेकिन अब भी बिजाई होने पर अच्छी फसल हासिल हो सकती है।
कर्नाटक में हालत ज्यादा सुखद नहीं है। वहां अरहर एवं मूंग के क्षेत्रफल में भारी गिरावट आई है अब इसमें सुधार आने की ज्यादा गुंजाइश भी नहीं है।
उड़द का रकबा भी गत वर्ष से पीछे है मगर इसमें अपेक्षाकृत कम गिरावट आई है। मूंग का उत्पादन क्षेत्र पहले गत वर्ष से आगे चल रहा था मगर अब कुछ पीछे हो गया है।
मानसून की चाल इस बार काफी हद तक अजीबो गरीब या विचित्र रही है। देश के कई भागों में अत्यन्त मूसलाधार वर्षा एवं भयंकर बाढ़ के प्रकोप से दलहन फसलों को नुकसान होने की आशंका है जबकि कुछ अन्य हिस्सों में बारिश की कमी से बिजाई प्रभावित हो रही है।
खरीफ सीजन की तीनों प्रमुख दलहनों- अरहर, उड़द एवं मूंग का रकबा घटने से सरकार की चिंता बढ़ सकती है जो इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने का जी तोड़ प्रयास कर रही है।
अगले महीने से त्यौहारी सीजन शुरू होने पर दाल-दलहनों की मांग एवं खपत बढ़ने की उम्मीद है जिससे कीमतों पर भी असर पड़ सकता है। दलहनों का थोक मंडी भाव पहले ही बढ़कर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच चुका है।
अफ्रीकी तुवर का आयात अगस्त में शुरू हो सकता है। म्यांमार में इसका स्टॉक नहीं है इसलिए उससे उम्मीद कम रखी जा रही है मगर वहां से उड़द का भारी आयात हो सकता है क्योंकि इसका पर्याप्त निर्यात योग्य स्टॉक वहां मौजूद है।
घरेलू तुवर की नई फसल दिसम्बर-जनवरी में आनी शुरू होगी जबकि इस बीच त्यौहारी सीजन के पुराने स्टॉक एवं आयातित माल से काम चलाना होगा। दाल-दलहन बाजार में फिलहाल ज्यादा उथल-पुथल नहीं है।