iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण एशिया, ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिण- पूर्व एशिया में अल नीनो मौसम चक्र के आगमन एवं प्रकोप की आशंका बनी हुई है जिससे खासकर धान- चावल का उत्पादन एवं स्टॉक प्रभावित हो सकता है।
भारत ने इसका स्टॉक बचाने के लिए एहतियाती उपाय शुरू कर दिया है। इसके तहत प्रथम चरण में सफेद (कच्चे) गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है जबकि टुकड़ी चावल का निर्यात पहले से ही बंद है। गैर बासमती सेला चावल तथा बासमती चावल का निर्यात अभी नियंत्रणों से मुक्त है।
उधर थाइलैंड में किसानों को दूसरे सीजन में धान के प्रकोप से वर्षा भी कम होने की संभावना है। थाई चावल का निर्यात ऑफर मूल्य तेजी से बढ़ने लगा है जिसके पीछे-पीछे वियतनाम पाकिस्तान तथा म्यांमार के चावल का दाम बढ़ना भी निश्चित है।
भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक एवं दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है इसलिए भारत की निर्यात नीति में होने वाले बदलाव का वैश्विक चावल बाजार पर तत्काल गहरा असर पड़ता है।
अफ्रीका और एशिया महाद्वीप के अनेक देश चावल आयात के लिए मुख्यत: भारत पर निर्भर रहते हैं इसलिए भारत से सफेद चावल का निर्यात बंद होने से उस पर स्वाभविक रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
वैश्विक चावल निर्यात बाजार में भारत की भागीदारी 40-42 प्रतिशत, थाईलैंड 15-16 प्रतिशत एवं वियतनाम की 14-15 प्रतिशत रहती है। चावल का सर्वाधिक उत्पादन तथा उपयोग एशिया में ही होता है जबकि अफ्रीकी देशों में पैदावर कम एवं खपत ज्यादा होती है।
आयातक देशों में चावल का स्टॉक बनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है क्योंकि आगामी समय में इसका भाव और भी तेज होने के आसार हैं। भारत में आपूर्ति की स्थिति सामान्य बनी हुई है और खरीफ कालीन धान के उत्पादन क्षेत्र में भी सुधार आने के संकेत मिल रहे हैं।