iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि अभी तक खरीफ फसलों की कुल बिजाई लगभग सामान्य जा रही है लेकिन आगे इसमें कमी आ सकती है क्योंकि अगस्त में दक्षिण-पश्चिम मानसून की चाल कुछ सुस्त पड़ने की आशंका व्यक्त की गई है।
मालूम हो कि जुलाई तथा अगस्त को सर्वाधिक वर्षा तथा खरीफ फसलों की सबसे ज्यादा बिजाई वाला महीना माना जाता है इसलिए यदि अगस्त में बारिश कम एवं सीमित क्षेत्रों में हुई तो कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
फिलहाल देश के पूर्वी भाग में कम वर्षा होने से धान की खेती कुछ पिछड़ रही है। वहां अगस्त में भारी वर्षा की जरूरत पड़ेगी। उधर आंध्र प्रदेश में भी इसका क्षेत्रफल गत वर्ष से पीछे चल रहा है।
यद्यपि पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष में 28 जुलाई तक राष्ट्रीय स्तर पर धान का कुल उत्पादन क्षेत्र 1.84 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 237.50 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया लेकिन यदि अगस्त में वर्षा का अभाव रहा तो क्षेत्रफल में कमी आ सकती है।
उल्लेखनीय है कि धान की रोपाई के लिए खेतों में पर्याप्त नमी होना आवश्यकता है और फसल की प्रगति के दौरान भी खेतों में पानी होना चाहिए।
खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 830.30 लाख हेक्टेयर के सापेक्ष अब तक 76 प्रतिशत खेती हो चुकी है जबकि कई क्षेत्रों में इसकी बिजाई अभी बाकी है।
कुछ मौसम पूर्वानुमान केन्द्रों का कहना है कि अगस्त के प्रथम सप्ताह तक मानसून की स्थिति सामान्य रह सकती है लेकिन उसके बाद इसकी गति धीमी पड़ जाएगी।
यह शायद अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप एवं प्रभाव का परिणाम हो सकता है लेकिन इस बारे में अभी निश्चित रूप से कुछ कहना ठीक नहीं है क्योंकि सितम्बर में पुनः मानसून के सामान्य होने की भविष्यवाणी की जा रही है।
बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना जैसे राज्यों पर विशेष नजर रखने की आवश्यकता है।