iGrain India - नई दिल्ली । विदेश खरीदार भारतीय निर्यातकों से बासमती चावल का निर्यात शिपमेंट जल्दी से जल्दी करने का आग्रह कर रहे क्योंकि सरकार द्वारा सफेद (कच्चे) गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाये जाने के कारण वैश्विक बाजार में अफरा तफरी का माहौल पैदा हो गया है।
विदेशी आयातकों को आशंका है कि भारत सरकार बासमती चावल के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध या मात्रात्मक नियंत्रण लगा सकती है। हालांकि सरकार ने अभी इस तरह का न तो कोई निर्णय लिया है और न ही कोई संकेत दिया है लेकिन यह भी सही है कि सरकार फैसला हमेशा आकस्मिक होता है इसलिए वैश्विक चावल निर्यात बाजार में दहशत बढ़ने की संभावना है।
भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार ने 20 जुलाई को अचानक सामान्य श्रेणी के कच्चे चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी थी।
दरअसल पहले वर्षा की कमी से धान का क्षेत्रफल पिछड़ रहा था और बाद में अत्यन्त प्रचंड बारिश होने तथा बाढ़ आने से कई क्षेत्रों में धान की फसल क्षतिग्रस्त हो गई। अगस्त में मानसून की वर्षा का अभाव होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
घरेलू प्रभाग में चावल का दाम भी बढ़ने लगा था। इन सब कारणों को देखते हुए सरकार को सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगाने का निर्णय लेना पड़ा।
हालांकि भारत से बासमती चावल के निर्यात पर अत्यन्त खास परिस्थितियों में ही पाबन्दी लगने की संभावना रहती है क्योंकि प्रीमियम क्वालिटी के इस चावल का उपयोग जन साधारण द्वारा बहुत कम किया जाता है लेकिन वैश्विक बाजार में इस बात की आशंका है कि भारत सरकार आवश्यकता पड़ने पर बासमती चावल का निर्यात भी रोक सकती है।
बासमती चावल का एक अग्रणी निर्यातक का कहना है कि विदेशी खरीदार जल्दी से जल्दी चावल की खेप भेजने का अनुरोध कर रहे हैं। ध्यान देने की बात है कि आयातक आमतौर पर दीर्घकालीन या दूरस्थ माह की डिलीवरी के लिए अनुबंध करते हैं ताकि प्रत्येक महीने एक निश्चित मात्रा में इसे मंगा सके।
लेकिन इस बार स्थिति भिन्न है। कई आयातक चाहते हैं कि उन्हें जल्दी से जल्दी डिलीवरी हासिल हो जाए। भारतीय आयातक भी इसका पूरा प्रयास कर रहे हैं क्योंकि आशंका तो उसे भी है। सितम्बर-अक्टूबर में जिस चावल की डिलीवरी होनी थी उसे अब अगस्त में ही भेजने का आग्रह किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत से करीब 45 लाख टन बासमती चावल का निर्यात दुनिया के विभिन्न देशों को किया गया।