iGrain India - नई दिल्ली । कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि भारत से सफेद (कच्चे) चावल का निर्यात बंद होने से दुनिया के लाखों लोग प्रभावित होंगे और खासकर इन देशों पर ज्यादा असर पड़ेगा जो अब एक भारतीय चावल पर आश्रित थे। भारत सरकार की अपनी विवशता है।
वह घरेलू प्रभाग में चावल की पर्याप्त आपूर्ति वह उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए कीमतों को नियंत्रित रखना है ताकि आम उपभोक्ताओं को कठिनाई न हो।
भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यात देश है। यहां से एशिया, अफ्रीका तथा मध्य-पूर्व के देशों को विशाल मात्रा में चावल का शिपमेंट किया जाता है।
एक संगठन के मुताबिक भारत सरकार के निर्णय से मलेशिया सर्वाधिक प्रभावित हो सकता है क्योंकि हाल के वर्षों में भारतीय चावल पर उसकी निर्भरता बहुत बढ़ गई है।
वह अपनी जरूरत के अधिकांश भाग का चावल बाहर से मंगाता है और इसमें भारतीय चावल की भागीदारी बहुत ज्यादा रहती है। इसी तरह सिंगापुर पर भी असर पड़ेगा क्योंकि 30 प्रतिशत चावल भारत से मंगाया जाता है। वह भारत से चावल के निर्यात प्रतिबंध में छूट देने का आग्रह कर रहा है।
चावल का वैश्विक बाजार भाव उछलकर पिछले एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। अल नीनो के खतरे से भारत के अलावा थाईलैंड, वियतनाम तथा पाकिस्तान जैसे अन्य निर्यातक देशों में भी चावल का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है।
चावल के वैश्विक बाजार मूल्य में आ रही तेजी से फिलीपींस पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है क्योंकि वहां प्रति वर्ष विशाल मात्रा में इसका आयात होता है। वह वियतनाम से ज्यादा चावल मंगाता है।
एशिया के अलावा अफ्रीका एवं मध्य पूर्व के देशों को भी चावल का संकट झेलना पड़ेगा। अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्र में बसे देश भारतीय चावल पर काफी हद तक आश्रित रहते है जिसमें जिबूती, लाइबेरिया एवं गाम्बिया मुख्य रूप से शामिल हैं।
मध्य-पूर्व के कतर और कुवैत की समस्या बढ़ सकती है। टुकड़ी चावल के बाद भारत से अब सफेद चावल का निर्यात बंद हो गया है।