iGrain India - नई दिल्ली । सरकारी थिंक टैंक- नीति आयोग द्वारा वस्त्र उद्योग में टैक्स संबंधी बाधाओं एवं विसंगतियों का अध्ययन- परीक्षण किया जा रहा है ताकि उसमें आश्यकतानुसार संशोधन-परिवर्तन किया जा सके।
पिछले सप्ताह आयोग ने कपड़ा उद्योग के समक्ष मौजूद चुनौतियों एवं समस्याओं को जानने-समझने के लिए उद्योग से सम्बन्धित संघों-संगठनों की एक बैठक आयोजित की थी।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बैठक में नीति आयोग ने टैक्स से सम्बन्धित उन मामलों पर टेक्सटाइल उद्योग की राय जानने का प्रयास किया जो मुद्दे इस सेक्टर के विकास को प्रभावित कर रहे हैं।
आयोग उस पर अपना ठोस दृष्टिकोण रखेगा और वित्त मंत्रालय के पास विचारार्थ उपयुक्त सिफारिश भेजेगा। इस बैठक में कपड़ा उद्योग के संघों- संगठनों ने नीति आयोग को विभिन्न समस्याओं से अवगत करवाया।
संगठनों का कहना था कि विदेशों से रूई के आयात 11 प्रतिशत का जो सीमा शुल्क लगा हुआ है उसे वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि इससे तैयार उत्पादों का लागत खर्च बढ़ता है और वैश्विक निर्यात बाजार में उसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता घट जाती है।
कॉटन यार्न एवं फैब्रिक्स एक निर्यात प्रदर्शन उत्सावर्धक नहीं है क्योंकि उद्यमियों- निर्यातकों को कई देशों से कठिन चुनौती मिल रही है। उद्योग को आर्थिक दृष्टि से सबल-सक्षम बनाने के लिए न केवल टैक्स में छूट दिये जाने की जरूरत है बल्कि कुछ अतिरिक्त प्रोत्साहनों की भी आवश्यकता है।
कृषि क्षेत्र के बाद देश में टेक्सटाइल सेक्टर ही सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध करवा रहा है मगर पिछले वित्त वर्ष से इसकी हालत डावांडोल चल रही है। बैठक में कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए गए।