iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । जुलाई माह के दौरान जिन प्रांतों में अत्यधिक बारिश हुई वहां अगस्त में वर्षा का अभाव रहने की आशंका है। दूसरी ओर इन राज्यों में चालू माह के दौरान अच्छी वर्षा होने की उम्मीद है जहां पिछले महीने मानसून आने से कतरा रहा था।
दक्षिण-पश्चिम मानसून के रुख में होने वाले इस बदलाव का भारतीय कृषि क्षेत्र पर सकरात्मक और नकारात्मक- दोनों तरह का असर पड़ सकता है।
बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है मगर जुलाई में बारिश की कमी से इसकी रोपाई पिछड़ गई। यदि अगस्त में वहां अच्छी बारिश होती है तो इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का रकबा बढ़ सकता है।
इससे केन्द्र सरकार को भारी राहत मिलेगी। दूसरी ओर गुजरात, राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों में चालू माह के दौरान वर्षा का अभाव होने तथा तापमान ऊंचा रहने पर खरीफ फसलों का विकास प्रभावित हो सकता है जहां इसकी बिजाई या तो समाप्त हो चुकी है या बिल्कुल अंतिम चरण में पहुंच गई है।
गुजरात तथा राजस्थान में इस बार खरीफ फसलों की अगैती खेती हुई है इसलिए वहां अगस्त-सितम्बर में मौसम का अनुकूल होना बहुत जरुरी है।
अभी तक अल नीनो मौसम चक्र के आने की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है मगर मौसम विभाग ने अगस्त में राष्ट्रीय स्तर पर दीर्घ कालीन औसत के सापेक्ष 92 प्रतिशत वर्षा होने का अनुमान लगाया है और बारिश के वितरण की दिशा भी बदलने की संभावना व्यक्त की है।
दूसरी ओर सितम्बर में सामान्य या इससे अधिक वर्षा होने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है। ध्यान देने की बात है कि कुछ अगैती फसलें सितम्बर में पककर तैयार हो जाती हैं।
उस समय भारी वर्षा हुई तो फसलों को नुकसान हो सकता है मगर पिछैती बिजाई वाली फसल को फायदा होने की उम्मीद रहेगी। धान और दलहन फसलों के क्षेत्रफल पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।