iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा अचानक 20 जुलाई को गैर बासमती श्रेणी के सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिए जाने से कुछ निर्यातकों का माल बंदरगाहों पर अटक गया है। इसकी मात्रा लगभग 2 लाख टन बताई जा रही है।
यदि इसका शिपमेंट नहीं हुआ तो निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है। समझा जाता है कि निर्यात प्रतिबंध सम्बन्धी सरकारी अधिसूचना जारी होने से पूर्व चावल के इस स्टॉक की कस्टम विभाग से क्लीयरेंस नहीं मिल पाया था।
हालांकि अन्य अधिकांश कार्गो (खेप) को क्लीयरेंस प्राप्त हो गया था इसलिए उसके शिपमेंट में कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई लेकिन करीब 2 लाख टन चावल का स्टॉक पड़ा रह गया। इसमें कोलकाता बंदरगाह पर मौजूद 5000 टन चावल भी शामिल है।
उल्लेखनीय है कि 25 जुलाई को अन्तर्रष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा था कि भारत से सफेद चावल का निर्यात बंद होने से वैश्विक खाद्य बाजार में तेजी आएगी इसलिए सरकार को अपना निर्णय बदलना चाहिए।
अब संयुक्त अरब अमीरात ने भी भारतीय चावल के आयातित माल का निर्यात एवं पुनर्निर्यात चार महीने के लिए रोक दिया है। अनेक आयातक देशों में अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया है।
थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान ने सफेद चावल का निर्यात ऑफर मूल्य काफी बढ़ा दिया है जिससे मलेशिया, फिलीपींस एवं अनेक अफ्रीकी देशों की कठिनाई बढ़ गई है।
निर्यातकों का कहना है कि सरकार को प्रतिबंध की घोषणा से पूर्व कुछ समय देना चाहिए था। यदि यह 2 लाख टन चावल आयातक देशों में नहीं पहुंचा तो इसके निर्यातक को डिफ़ॉल्टर होना पड़ेगा और आर्थिक नुकसान भी होगा।