iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून के दिशा परिवर्तन से राष्ट्रीय स्तर पर धान की खेती ज्यादा प्रभावित होने की संभावना नहीं है मगर ऊंचे तापमान एवं कम वर्षा का दलहन फसलों पर कुछ हद तक प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
मौसम विभाग ने अगस्त में देश के अधिकांश भागों में शुरूआती दो सप्ताहों के दौरान मानसून की गति सुस्त रहने तथा बारिश कम होने की संभावना व्यक्त की है लेकिन इससे धान की रोपाई प्रभावित नहीं होगी क्योंकि देश के पूर्वी राज्यों में अच्छी वर्षा होने की उम्मीद है जहां धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
बिहार के कई भागों में चालू सप्ताह के दौरान बारिश की रफ्तार और मात्रा बढ़ी है जिससे किसानों को धान की रोपाई करने में सहायता मिल रही है। धान के अन्य महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब तथा हरियाणा में सिंचाई की अच्छी सुविधा है।
बिहार के साथ-साथ बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी बारिश होने की सूचना मिल रही है।
जहां तक दलहन फसलों का सवाल है तो ऊंचा तापमान इसके लिए हानिकारक हो सकता है लेकिन यदि समय-समय पर उसे बारिश का सहारा मिलता रहे तो फसल की हालत बेहतर हो सकती है।
दलहन फसलों का रकबा गत वर्ष से पीछे चल रहा है जिससे उत्पादन में गिरावट आने की संभावना है। यदि प्रतिकूल मौसम से फसल को नुकसान हुआ तो स्थिति और भी विषम हो सकती है।
पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 109.15 लाख हेक्टेयर से 11.3 प्रतिशत घटकर 96.84 लाख हेक्टेयर रह गया। यह 28 जुलाई तक का आंकड़ा है।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान दलहनों का उत्पादन क्षेत्र कर्नाटक में 6.74 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 3.23 लाख, मध्य प्रदेश में 2.23 लाख, उड़ीसा में 94 हजार, तेलंगाना में 37 हजार, झारखंड में 36 हजार, हरियाणा में 33 हजार, आंध्र प्रदेश में 27 हजार, छत्तीसगढ़ में 25 हजार तथा गुजरात में 8 हजार हेक्टेयर घट गया। धान का क्षेत्रफल आसाम, झारखंड, उड़ीसा, पंजाब एवं आंध्र प्रदेश में घटा है जबकि अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में गत वर्ष से आगे चल रहा है।