iGrain India - अहमदाबाद । देश के सबसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्य- गुजरात में रूई की कीमतों में उतार-चढ़ाव का माहौल रहने से जिनिंग-स्पिनिंग उद्योग की कठिनाई बढ़ गई है। चूंकि चालू मार्केटिंग सीजन के अधिकांश समय में भारतीय कॉटन यार्न का भाव वैश्विक स्तर से ऊंचा रहा है इसलिए इसके निर्यात में इजाफा नहीं हो सका। इससे अनेक जिनर्स - स्पिनर्स को लगातार दूसरे साल भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।
समझा जाता है कि देश के उत्तरी राज्यों और खासकर पंजाब-हरियाणा में रूई के नए माल की आवक जल्दी ही शुरू हो जाएगी जिससे कपास के दाम में आगे और बढ़ोत्तरी पर ब्रेक लग सकता है।
समीक्षकों के अनुसार कमजोर वित्तीय प्रदर्शन वाली अनेक स्पिनिंग मिलें साझीदारी में बदलाव की तरफ देख रही हैं। दक्षिण भारत में 50 प्रतिशत से अधिक स्पिनिंग मिलों ने उत्पादन रोक दिया है क्योंकि तैयार उत्पाद की मांग कमजोर है और उसकी आमदनी भी घट गई है।
कॉटन यार्न की मांग सुस्त देखी जा रही है। गुजरात में करीब 120 कॉटन स्पिनिंग मिलें हैं जिसमें से अधिकांश इकाइयां सौराष्ट्र संभाग में अवस्थित हैं।
गुजरात स्पिनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष का कहना है कि पिछला सीजन स्पिनिंग उद्योग के लिए बहुत कठिन था और चालू सीजन भी आसान नहीं रहा है।
चालू वर्ष के अधिकांश दिनों में रूई का घरेलू बाजार भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजार से ऊंचा रहा और इसलिए वैश्विक बाजार में कॉटन यार्न की आपूर्ति के लिए स्पिनिंग इकाइयां प्रतिस्पर्धी बनने में सफल नहीं हो सकी। कॉटन यार्न की घरेलू मांग भी कमजोर बनी हुई है।
पंजाब-हरियाणा में नया माल आने पर रूई के दाम में जोरदार वृद्धि की संभावना ख़त्म हो सकती है और तब जिनिंग- स्पिनिंग इकाइयों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद की जा सकती है।