iGrain India - नई दिल्ली । चूंकि मई माह से ही गेहूं तथा आटा के खुदरा मूल्य में नियमित रूप से बढ़ोत्तरी हो रही है इसलिए केन्द्र सरकार की चिंता बढ़ गई है क्योंकि कीमतों को नियंत्रित करने का उसका प्रयास सफल नहीं हो रहा है।
इसे देखते हुए सरकार कुछ नए विकल्पों पर विचार कर रही है जिसमें सरकार से सरकार स्तर पर गेहूं मंगाना तथा इस पर लगे 40 प्रतिशत के आयात शुल्क को स्थगित करना भी शामिल है।
सरकार को महसूस होता है कि देश में अभी 4 करोड़ टन से अधिक गेहूं का ऐसा स्टॉक मौजूद है जिसकी घोषणा नहीं की गई है। सरकार गेहूं पर भंडारण सीमा पहले ही लागू कर चुकी है लेकिन अभी तक केवल 90-100 लाख टन के स्टॉक की घोषणा की गई है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2022-23 के रबी सीजन में गेहूं का घरेलू उत्पादन तेजी से बढ़कर 1127.40 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जिसमें से 262 लाख टन की सरकारी खरीद हुई।
सरकार ने निजी खपत, बीज तथा फीड निर्माण उद्देश्य से किसानों द्वारा 300-350 लाख टन गेहूं का स्टॉक रखे जाने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा 31 जुलाई 2023 तक व्यापारियों / स्टॉकिस्टों द्वारा 90-100 लाख टन के स्टॉक की घोषणा की गई।
सरकार ने इन सभी बातों पर ध्यान देने के बाद माना है कि समूचे वर्ष के लिए घरेलू बाजार में 420 से 480 लाख टन के बीच गेहूं का स्टॉक उपलब्ध होना चाहिए।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि गेहूं का यह विशाल स्टॉक सीमा के रडार से अभी बाहर है और कोई नहीं जानता है कि यह बाजार में कब तक उतरेगा। गेहूं तथा इसके उत्पादों का दाम बढ़ता जा रहा है इसलिए इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को कुछ नए उपाए करने होंगे।
सरकारी एगमार्क नेट पोर्टल के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वर्ष के दौरान 1 मार्च से 31 जुलाई तक देश भर की प्रमुख मंडियों में करीब 210 लाख टन गेहूं की आवक हुई जो सरकारी क्रय केन्द्रों पर हुई आवक से अलग है।
सरकार सीमित मात्रा में गेहूं के आयात की (शुल्क मुक्त) अनुमति देकर बाजार को यह संदेश और संकेत दे सकती है कि यदि वहां जल्दी से जल्दी अच्छी मात्रा में स्टॉक नहीं उतारा गया तो विदेशों से इसका आयात बढ़ाया जा सकता है।