iGrain India - नई दिल्ली । खरीफ बिजाई सीजन जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे दलहन फसलों का रकबा गत वर्ष से पीछे होता जा रहा है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2022 की तुलना में 2023 के खरीफ सीजन के दौरान 4 अगस्त तक राष्ट्रीय स्तर पर दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 117.87 लाख हेक्टेयर से 11 लाख हेक्टेयर घटकर 106.88 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया। तीन प्रमुख दलहनों- अरहर (तुवर), उड़द एवं मूंग का क्षेत्रफल गत वर्ष से काफी पीछे है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान अरहर का उत्पादन क्षेत्र 40.58 लाख हेक्टेयर से घटकर 37.38 लाख हेक्टेयर, उड़द का बिजाई क्षेत्र 32.49 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 28.01 लाख हेक्टेयर तथा मूंग का रकबा 31.47 लाख हेक्टेयर से गिरकर 28.89 लाख हेक्टेयर रह गया।
हालांकि कुलथी का रकबा 18 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 22 हजार हेक्टेयर पर पहुंचा मगर अन्य दलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र 13.15 लाख हेक्टेयर से घटकर 12.38 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।
दलहनों का भारी अभाव पहले से ही महसूस किया जा रहा है और ऐसी हालत में यदि अगला उत्पादन घटने की आशंका पैदा होती है तो आम उपभोक्ताओं की कठिनाई तथा केन्द्र सरकार की चिंता स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगी।
दलहनों की बिजाई अंतिम चरण में पहुंच गई है इसलिए अब मौसम एवं मानसून की हालत पर सबका ध्यान केन्द्रित है। यदि मौसम अनुकूल रहा तो दलहन फसलों की औसत उपज दर एवं कुल पैदावार में सुधार आ सकता है लेकिन यदि इसकी हालत अच्छी नहीं रही तो सरकार को नए विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है। उसके पास चना का तो विशाल स्टॉक है लेकिन अन्य दलहनों का स्टॉक बहुत कम बचा हुआ है।