iGrain India - नई दिल्ली । एक मशहूर कहावत है - 'हरे रहे तो अदरक, सूख गए तो सौंठ' वर्तमान समय में कर्नाटक लाइन से अदरक के नए माल की आवक होने से इसकी कीमतों में थोड़ी नरमी आने लगी है लेकिन इसका सौंठ के दाम पर कोई असर नहीं पड़ा।
सौंठ के भाव में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रमुख कारण इसकी घरेलू एवं निर्यात मांग तथा आपूर्ति एवं उपलब्धता के समीकरण में निहित है। पिछले कुछ दिनों से सौंठ का भाव ऊंचा एवं तेज बना हुआ था क्योंकि स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम हो रही थी और उत्पादक क्षेत्रों से इसकी समुचित आपूर्ति नहीं हो रही थी।
दक्षिण भारत में मानसून की सक्रियता बढ़ने से सौंठ का भाव तेज हुआ था जिसका प्रभाव दिसावरी मंडियों पर पड़ना स्वाभाविक ही था। दिल्ली की सब्जी मंडी में बंगलोर लाइन की नई अदरक आने लगी है और इसका भाव गिरकर 65-85 रुपए प्रति किलो पर आ गया है। पुरानी अदरक का दाम भी घटकर 140-165 रुपए प्रति किलो रह गया।
उल्लेखनीय है अदरक का भाव एक समय उछलकर 200-225 रुपए प्रति किलो के नए शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था जिससे उत्पादकों का लगभग सारा माल बिक गया था। कोच्चि में भी इसका मूल्य बढ़ते हुए 200 रुपए प्रति किलो की ऊंचाई पर पहुंचा था जो बाद में कुछ नरम पड़ गया।
हालत ऐसी हो गई कि सौंठ बनाने के लिए अदरक मिलना मुश्किल हो गया था और जिनके पास सौंठ का स्टॉक मौजूद था उसने उसे दबाना शुरू कर दिया ताकि बाजार में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रहे। मसाला निर्माताओं एवं निर्यातकों की अच्छी मांग से भी बाजार मजबूत बना रहा।
कोच्चि के टर्मिनल मार्केट में नई सौंठ की आवक की शुरुआत से लेकर अभी तक आपूर्ति का दबाव नहीं बन पाया है। उत्पादकों द्वारा पहले ही अधिकांश माल की बिक्री कर दिए जाने से अब अदरक का भारी अभाव महसूस होने लगा था लेकिन समझा जाता है कि कर्नाटक से नए माल की आपूर्ति शुरू होने से यह कमी आंशिक रूप से दूर हो सकती है।
स्थानीय मंडी में सौंठ का भाव 41000-42000 रुपए प्रति क्विंटल के करीब चल रहा था जबकि सागर लाइन में इसका दाम 32,500-35,000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बताया जा रहा था।
पिसाई वाले मिलर्स फिलहाल औरंगाबाद की सौंठ को ज्यादा पसंद कर रहे हैं क्योंकि यह अपेक्षाकृत सस्ता है। इससे अन्य उत्पादक प्रांतों में कारोबार सुस्त पड़ सकता है।