iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार का दावा है कि उसके पास चावल का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और इसलिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए कोई चिंता की बात नहीं है। घरेलू प्रभाग में चावल की अच्छी आपूर्ति हो रही है और सीमित उतार-चढ़ाव के साथ कीमतों में लगभग स्थिरता बनी हुई है।
ध्यान देने की बात है कि पहले अल नीनो के प्रभाव एवं मानसून के कमजोर रहने की आशंका से धान का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना व्यक्त की जा रही थी लेकिन अभी तक इसका कोई संकेत नहीं मिला है।
सरकार ने उत्पादन घटने की आशंका से ही गैर-बासमती संवर्ग के सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई से प्रतिबंध लागू किया था। लेकिन नेपाल को इस प्रतिबंध के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया गया है। नेपाल में सफेद (कच्चे) चावल का निर्यात जारी रहेगा।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 1 अगस्त 2023 को धान की समतुल्यता के साथ केन्द्रीय पूल में कुल 376 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद था जबकि अक्टूबर से धान के नए माल की आवक एवं सरकारी खरीद आरंभ हो जाएगी।
हालांकि धान का क्षेत्रफल करीब 9 लाख हेक्टेयर बढ़कर 283 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है मगर पंजाब-हरियाणा में इसकी फसल को बाढ़-वर्षा से कुछ नुकसान पहुंचने की खबर है।
ध्यान देने की बात है कि ये दो ऐसे राज्य हैं जहां धान की औसत उपज दर अन्य प्रांतों से ऊंची होती है। पंजाब केन्द्रीय पूल में धान-चावल का सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य है।
मानसून अब पूर्वी भारत में सक्रिय हो गया है जहां पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, झारखंड एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है। उम्मीद की जा रही है कि अच्छी बारिश के सहारे इन राज्यों में धान के क्षेत्रफल में काफी विस्तार हो सकता है।